एक चोरी यह भी | Ek Chori Yah Bhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
आकाश सेठी का जन्म सन १९६३ में हुआ | सेठी जी ने कई सारी कविताओं, गजलों तथा लघु हास्य विधा में लेखन कार्य किया | इनके दो सुप्रसिद्ध नाटक - 'कौन कहे सच' तथा 'एक चोरी यह भी ' हैं |
'एक चोरी यह भी' के लिए आकाश जी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय. भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया गया |
आकाश जी ने एम्. बी. ए. तथा केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की तथा IOCI में सन १९८७ से सेवारत हैं |
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आलोचकों से इसकी प्रशंसा करवाज ना ग्प्द
(चुन्नूं प्रवेश करता है और आकर “टरवीमे:ए पास
हो जता है)
उन्न : पिता जी, बया करवाएंगे ?
नरेन्द्र : (चुन्नू को देखकर) प्रशंसा, चुन्नू बेटे ।
चन्न : (हैरान घुद्रा से) यह प्रशंसा क्या होती है !
नरेन्द्र :तारोफ़ “जेसे ' जैसे मैं वहूं कि मेरा चुन््नू वेंटा बहुत
अच्छा है. तो वह प्रश्नेसा होती है।
चन्म: पर आप तो कभी प्रशंसा करते ही नहीं । हमेशा कहते
हैं कि चुन्नू तो वहुत शरारती है, चुन्मू बहुत गंदा है।
(सोचकर) पिता जी, यह क्या होता है ?
नरेज्द्र : बेटे, यह् प्यपर होतए है १ में तुर से बहुत ध्यार करता हू
न। आओ, तुम्हें एक कविता सुनाऊं। (हाभ से संकेत
करके) आओ, यहां आकर बैठो ।
नमू : (सिर हिलाते हुए, उदास भाव से) नहीं पिता जी, मुझे
होम-बर्क करना है।
मरेन््द : (समभाते हुए) बाद में कर लेना बेटे, पहैले कविता तो
सुन लो ।
चुस्नू : (आंज मलते हुए) पिता जी, मुझे नींद भी आ रही है।
नरेन्द्र : वात मानते है, वेटा
चुन्नू : देखिए पित्ता जी या तो मैं कविता सुन सकता हूं या
होम-वर्क कर सकता हूं। उसके बाद मुझे नींद आ
जाएगी ।
नरेन्द्र: चुन््नू, तुम वहुत जिद करते हो | चलो पहले कविता सुत
लो, फिर पप्पू तुम्हें होम-वके करवा देगा। (पष्पू से)
क्यों पप्पू, ठोक है न ?
चुस्नू: पर पिता जी''*
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axsethi
at 2020-06-08 11:23:29"Unique "