एक चोरी यह भी | Ek Chori Yah Bhi

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Ek Chori Yah Bhi by आकाश सेठी -Aakash Sethi

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आकाश सेठी का जन्म सन १९६३ में हुआ | सेठी जी ने कई सारी कविताओं, गजलों तथा लघु हास्य विधा में लेखन कार्य किया | इनके दो सुप्रसिद्ध नाटक - 'कौन कहे सच' तथा 'एक चोरी यह भी ' हैं |
'एक चोरी यह भी' के लिए आकाश जी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय. भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया गया |
आकाश जी ने एम्. बी. ए. तथा केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की तथा IOCI में सन १९८७ से सेवारत हैं |

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आलोचकों से इसकी प्रशंसा करवाज ना ग्प्द (चुन्नूं प्रवेश करता है और आकर “टरवीमे:ए पास हो जता है) उन्न : पिता जी, बया करवाएंगे ? नरेन्द्र : (चुन्नू को देखकर) प्रशंसा, चुन्नू बेटे । चन्न : (हैरान घुद्रा से) यह प्रशंसा क्या होती है ! नरेन्द्र :तारोफ़ “जेसे ' जैसे मैं वहूं कि मेरा चुन्‍्नू वेंटा बहुत अच्छा है. तो वह प्रश्नेसा होती है। चन्म: पर आप तो कभी प्रशंसा करते ही नहीं । हमेशा कहते हैं कि चुन्नू तो वहुत शरारती है, चुन्मू बहुत गंदा है। (सोचकर) पिता जी, यह क्‍या होता है ? नरेज्द्र : बेटे, यह्‌ प्यपर होतए है १ में तुर से बहुत ध्यार करता हू न। आओ, तुम्हें एक कविता सुनाऊं। (हाभ से संकेत करके) आओ, यहां आकर बैठो । नमू : (सिर हिलाते हुए, उदास भाव से) नहीं पिता जी, मुझे होम-बर्क करना है। मरेन्‍्द : (समभाते हुए) बाद में कर लेना बेटे, पहैले कविता तो सुन लो । चुस्नू : (आंज मलते हुए) पिता जी, मुझे नींद भी आ रही है। नरेन्द्र : वात मानते है, वेटा चुन्नू : देखिए पित्ता जी या तो मैं कविता सुन सकता हूं या होम-वर्क कर सकता हूं। उसके बाद मुझे नींद आ जाएगी । नरेन्द्र: चुन्‍्नू, तुम वहुत जिद करते हो | चलो पहले कविता सुत लो, फिर पप्पू तुम्हें होम-वके करवा देगा। (पष्पू से) क्यों पप्पू, ठोक है न ? चुस्नू: पर पिता जी''*




User Reviews

  • axsethi

    at 2020-06-08 11:23:29
    Rated : 10 out of 10 stars.
    "Unique "
    An awarded play, on conflict in a creative person's life between his passion and his needs.
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