शर्म आती है मगर | Sharm Aati Hai Magar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तलाक का मुकदमा
दृश्य अदालत की गरमागरमी 'शोरा शशाबा' बाने-जाने
चालो के स्वर और फिर बीच भें से जज की आवाज
का उभरना !
जज आर्डर-आईर--ह तो आज का मुकदमा पेश किया
जाएं । सबसे पहला केस लक्ष्मी विरुद्ध ग्रोपाल । इ है
हाजिर किया जाए।
दोनो हम तो हाजिर हैं हजूर--कब से कटघरे मे खडे हैं।
जज इहे कसम दिलवाइए।
गोपाल किस बात की कसम साथ ये कसमे यहा भी चलती हैं
क्या?
खामोश रहिए--ये अदालत है “आपका घर नहीं--
जहा आप चाहे जो बोलें ।
ह॒मू र, वह भी कहा बोल पाता हू। मौका ही नही देती
श्रीमती जी मुझे बोलने का। वैसे माफ करें हजूर--
जज साहब घर पर तो आप भी नही बोल पाते होगे
ओह शटभअप, ये वया वकवास है । बहुत बेवकूफ है
आप
लक्ष्मी जज साहव थे मेरे पति हैं। अब आप ही सोचिए ऐसे
शाम आती है ममर 25
जज
गोपाल
जज
जे
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