सुन्दर साहित्य - माला | Sundar Sahity - Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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निर्माल्य
रचायिता--पं० मोहनलाल महतो गयावाल 'वियोगी!
यह वही रचना है, जिसकी प्रशंध्ता विश्वकवि रवीस्धनाथ
ठाकुर एवं प्रसिद्ध विदेशी विद्वान् श्रीयुत प्रियस॑न-साहव ने की
है। पंक्ति-पंक्ति में आकर्षण है। हिन्दी-सादित्य के धुरंधर
समाछोचक पं० गणेश बिहारी मिश्र लिखते हैं--
मैंने “निर्माल्य” को ध्यान से दो यार पढ़ा, आज-कक
खड़ी-बोली की जो तुझबन्दियाँ,निइुछा करती हैं, यदि नये छेखक
आपका अनुरूरण करें, तो मेरे विचार में इस नवीम प्रणाली का
विशेष गौरव हो सकता है। इसमें बहुत-सी कवितायें हृदय पर
अधिकार जमाने वाढी हैं। आपकी कवितायें भश्छीलता से
बिल्कुल पाक हैं । मैं भापकी रचनायें पढ़कर बहुत प्रसच्च हुभा ।
ये यहुत ही सरल, सरस तथा भावपूर्ण दें। उपमायें भी भच्छी
दी गई हैं। मैं आशा! करता हूँ कि जाप यदि खड़ी-बोली की
सेवा इसी प्रकार करते रहें, तो भापक्ा अनुरूरण करके वहुत-से
जवयुवक उत्तम कविताय करने छा जायेंगे ।
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हिन्दी-पुस्तक-मंडार, लद्देग्यासराय
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