सुन्दर साहित्य - माला | Sundar Sahity - Mala

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Sundar Sahity - Mala  by रामलोचन शरण बिहारी -Ramlochan Sharan Bihari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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25... निर्माल्य रचायिता--पं० मोहनलाल महतो गयावाल 'वियोगी! यह वही रचना है, जिसकी प्रशंध्ता विश्वकवि रवीस्धनाथ ठाकुर एवं प्रसिद्ध विदेशी विद्वान्‌ श्रीयुत प्रियस॑न-साहव ने की है। पंक्ति-पंक्ति में आकर्षण है। हिन्दी-सादित्य के धुरंधर समाछोचक पं० गणेश बिहारी मिश्र लिखते हैं-- मैंने “निर्माल्य” को ध्यान से दो यार पढ़ा, आज-कक खड़ी-बोली की जो तुझबन्दियाँ,निइुछा करती हैं, यदि नये छेखक आपका अनुरूरण करें, तो मेरे विचार में इस नवीम प्रणाली का विशेष गौरव हो सकता है। इसमें बहुत-सी कवितायें हृदय पर अधिकार जमाने वाढी हैं। आपकी कवितायें भश्छीलता से बिल्कुल पाक हैं । मैं भापकी रचनायें पढ़कर बहुत प्रसच्च हुभा । ये यहुत ही सरल, सरस तथा भावपूर्ण दें। उपमायें भी भच्छी दी गई हैं। मैं आशा! करता हूँ कि जाप यदि खड़ी-बोली की सेवा इसी प्रकार करते रहें, तो भापक्ा अनुरूरण करके वहुत-से जवयुवक उत्तम कविताय करने छा जायेंगे । + हिन्दी-पुस्तक-मंडार, लद्देग्यासराय




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