खरी - खोटी | Khari - Khoti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Khari - Khoti by कान्ता नाथ पाण्डेय - Kanta Nath Pandey

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कान्ता नाथ पाण्डेय - Kanta Nath Pandey

Add Infomation AboutKanta Nath Pandey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
खरी-सोटी इसमें पड़ी सुपारी चार। जेसे सड़कों पर कतवार ॥ इसमें सटी लॉग इस भाँति। जेसे वरु से पक्ञी-पाँति॥ भ्द भ्द | कितने ही जन' खाते पान, ओर थूक देते तत्काल! कितने झुँह के पहिले दी, फर देते कपड़े हैं. लाल!! >< र< ५ कितने अपने घर के घौच, थू थू करते हैं दिन रात! कितने यों खाते हैं. पान, जेसे बकरी तर के पात!! 94 ९ भर २७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now