पानी - पांडे | Pani-pandey

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Pani-pandey by कान्ता नाथ पाण्डेय - Kanta Nath Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ই! कथो तं उदरदरी ग इतने दंस रह्य है एए । क्यो तव रवी घोर माई चाट गया रे मृए / हम सब देख ভ২! माल मिला है तुमे पराया, हसे तमे किया सफाया। तीनि पीप खा गया पूरी, पर चेहरे पर शिक्षव न लाया, यह केता दष ই] कोटि कोटि कीठारु उड़ रहे, शाह पवन के अटल पटल पर | ओर मज़्िका-दल के हमले, हुए हजारों तव पत्त पर | গা আহি जबरे। कूटिल | कॉलेराअर परीखा, त वेड है मार पालभी।/ व्या यह्‌ पृषे जन्म में तैस, एद्र्द्री चौपाठ-पश्ष খাঁ! भ्त्र तो कुछ थके२।




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