वायुपुराणम | Wayupuranam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
170 MB
कुल पष्ठ :
1127
श्रेणी :
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No Information available about श्री. रामप्रताप त्रिपाठी शास्त्री - Shree Rampratap Tripati Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकादा कीय
नसः पुराणप्रभवे युगस्थ प्रभवे नमः |
चतुविधस्थ सगस्य प्रभवेब्नन्तचक्षुष ॥
सम्मेलन के प्रतिष्ठापक स्वर्गीय राजषि श्री पुरुषोत्तमदास जी टण्डन ने सम्मेलन द्वारा पुराणों के
अनुवाद प्रकाशन की योजना बनायी थी, जिससे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का मूलाधार पुराण सु:
ते घर-घर पहुँच सके तथा उसके अध्ययन और अनुशीलन से सभी लोग लाभान्वित हों । तदनुसार श्री:
जी के समय में ही मत्स्य एवं वायु पुराण का केवल हिन्दी अनुवाद मात्र सम्मेलन से प्रकाशित हुआ थार
सारी प्रतियाँ अब समाप्त हैं। कुछ समय के पश्चात् पुनः पुराण प्रकाशन योजना चालु की गयी तो ४*£
के सुझाव पर पाठान्तर के साथ मूलश्लोक और अनुवाद सहित पुराणों के प्रकाशन का निश्चय किया :
तदनुसार ब्रह्मपुराण, ब्रह्मवेबर्तपुराण और अग्निपुराणों का मुल श्लोक के साथ हिन्दी अनुवाद सस्मेः
प्रकाशित हुआ-जिसका प्रबुद्ध पाठकों 'ने अत्यधिक स्वागत किया । इससे प्रोत्साहित होकर सम्मेलन ने :
वायु एवं बृहन्नारदीय पुराण को भी श्लोक एवं उसके अनुवाद के साथ छापने की योजता बनायी । इन ती
मुद्रित वायुपुराण पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है ।
पहले वायुपुराण, वाइमयमर्मज्ञ विद्वानों के कथनानुसार विशालकाय ग्रन्थ था--जिसका एक
शिवपुराण के रूप में परिवातित हो गया है। संप्रति वायुपुराण में बारह सहस्नश्लोक ही पाये जाते हैं ।
भारत और हरिवंशपुराण में इसका उल्लेख आता है। महाकवि बाणभद्र (६०० ई०) ने अपने ग्राम में वायु
के पाठ कं वर्णन किया है । इसमें बोद्ध और जैन धर्म का उल्लेख नहीं है, पर गुप्तसाम्राज्य का उल्लेर
यही नहीं, इसमें गयामाहात्म्य बहुत विशद रूप से वरणित है। संगीत विषय प्र भी एक अध्याय है! *
प्रतिसर्गश्व'---इत्यादि सुप्रसिद्ध पुराण-लक्षण इसमें पूर्णतया घटित होता है ।
इस पुराण का अनुवाद स्वर्गीय पण्डित रामप्रताप तिपाठी ते किया था । उसी को सम्मेलन
संस्करण में स्थान दिया है। इसमें मुल श्लोक आनन्दाश्रम पूतरा से प्रकाशित वायुपुराण” से लिये गये हैं ।
मूल श्लोक तथा यत्त-तत्र हिन्दी अनुवाद में भी पण्डित श्री तारिणीश झा ने सपरिश्रम संशोधन किय
अतएव मैं उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूँ । साथ ही इनके सहयोगी पण्डित श्री रुद्रप्रसाद मिश्र तथा श्री हरि
पाण्डेय के वाम भी उल्लेखनीय हैं ।
शुभमस्तु ।
प्रभात शास्त्री
प्रधानमंत्री
रामनवमी हिन्दी साहित्य सम्मेलर
इलाहाबाद
संवत् २०४४ चै०
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