गर्जना | Garzana

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Garzana by पदम सिंह शर्मा - Padam Singh Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऊपराधोीं व >् के० सी० भारती अपराधी है होता ह्‌ जुल्म ढाहने वाले के जुल्मों को चुपके से सहले जो- मेरी नजरों में वह सबसे पहले अपराधी होता है । अपने घर की कमजोरी को औरों के घर में बतलाना अपने ही संग के साथी की दशा देख करके हँस जाना- अपने श्रम के बल पर मंजिल की सीढ़ों तक बढ़े नहीं जो- उनका और किसी के मधुमय प्रांगगा में जाकर इठलाना। घरती की ममता ने जमा भी आंका हो उसका जीवन- सेरी नजरों में वह सबसे पहले वरवादी बोता है। स्वर्णो हम्य में रहकर नसगिक कुटिया का मान न करना, मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाकर उसको अह-रह गान न बरता, राष्ट्र प्रेम की हार चुराकर नीलम से फरनों में बहना- विष को मधु श्रो मधु को विष जा म्‌ गो की बेलों से कहना । रक्त दान करने वालों से पूछा नहि है मैंने पर यों- मेरी नजरों में दह सबसे पहले आजादी बोता है। शी जज लनन हमारे जवान भारतीय लोकतन्त्र और आजादी की लक़ाई ही नहीं लड़ रहे हैं वल्कि एशिया में आजादी की मशाल्र की कभी ४ बुकन देने के लिये इस अदस्प और अजेय साहस का परिचय दे हे हैं| “-सिनिक?, आगरा 2. “८/गजना:




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