काव्य कलानिधि | Kavaya Kalnidhi(43)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
187
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about तारकनाथ अग्रवाल - Taraknath Agraval
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम संस्करण का वक्तव्य--
.. देश की सर्वतोमुखी उन्नति का मूलाधार है शिक्षा ओर वह -
: किसी ग्रकार की क्यों न हो, भाषा का माध्यम अनिवार्य है।
हिन्दी का साहित्य अपार है, किन्तु शिक्षाक्रम की अपनी
अलग कुछ आवश्यकताएं हुआ करती हैं । क्योंकि, उसमें समय
ओर छात्र-छात्राओं की विविध योग्यताओं का पारस्परिक
समन्वय अपेक्षित होता है । थोंडे से समय में सीमित घरातल:
पर हमारे अपार साहित्य का ज्ञान तो क्या साधारण परिचय
भी बहुत संभव नहीं । लेकिन शिक्षा की नींव तो यहीं
. जमती है।
.. शिक्षा क्रम की उपादेयता केवछ ज्ञानवधेन तक ही सीमित
. नहीं होती। साहित्यिक. सुरुचि एवं पिपासा उत्पन्न करना
उसकी विशेषता है । सौभाग्य की बात है कि आज हमारे
साहित्य में इस ओर कितने ही अच्छे साहित्यिक संकलन इत्यादि
अस्तुत हैं। लेकिन, उनमें से अधिकांश आधुनिक काव्य के
. विविध उद्धरणों तक ही सीमित रह जाते हैं। हमारा
_ सध्यकालीन, ब्रज ओर अवधी भाषाओं में व्यक्त काव्य
_ साहित्य आजकल के संकलनों में विशेष स्थान नहीं पाता
किन्तु उसका जो अपना महत्व हे या हमारे जीवन पर उसकी
जितनी छाप है वह नाप तोल की चीज़ नहीं । प्रायः देखा जाता
.है हमारे संकलनों में मध्यकालीन माँकी यदि थोड़ी बहुत कहीं
देख भी पड़ी तो सूर ओर तुलसी तक ही रह जाती है । यह भरी
ठीक है कि सूर ओर तुलसी केवल हमारे ही साहित्य के नहीं
User Reviews
No Reviews | Add Yours...