दैवत-संहिता | Daivat - Sanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
107 MB
कुल पष्ठ :
945
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मज़ा। ९७-१२३ ] ५ अश्थिनों देतवा ।
पुरू वपास्यश्चिना दर्धाना नि पेदव॑ ऊहधुराशमश्व॑म् ।
सहस्र॒सां वाजिनमर््रतीत“महिहने भ्रधस्य॥ तररुत्रम्
एतानि वां अवरस्या सुदान अश्वांड्गूप सद॑न रोद॑स्यो! ।
यद् वां पञ्जासों अश्विना ह्वन्ते यातमरिषा च॑ बिहुपें च वाज॑म
सुनोमोनेनाश्विना गणाना वाज़ विश्माय श्रुरणा रद॑न्ता ।
अगस्त्ये ब्रक्षणा वापधाना स विव्पल्ाँ नासत्यारिणीतम्
कु यान्ता सुष्दति काथ्यस्य दिवों नपाता वृषणा छयुन्ना ।
हिप्यस्येव कुलश निखांत”- शझुदृपधुदेशमे अश्विनाईन्
युव व्यवानमश्िना जर॑न्त पुनयुवन चक्रथु। शचीमि! ।
युवो रथ॑ दृह्ठिता सूमेस्यथ स॒द्द श्रिया नसत्यावृणीत
युव तुग्रांय पृव्येमिरेवें! पुनमेन्याव॑मवत युवाना ।
युव भुज्युमणसो नि संमृद्राद् विभिरूदथुकेजेमिरयें।
अजोहवीदशिना तौग्यों वां ग्रोल्द। समुद्रभ॑व्यिनगन्बान् ।
निश्मृंहथुः सुयुजा रथेंन मनोंजबसा वृषणा स्व॒स्ति
अजोहवीदश्िना बर्तिका वा-मास्नो यत् सीमपश्वत वृकस्य ।
वि जयुपा ययथु) सानन््वद्रें“जोत विष्याचों अहत विषेण॑
शत मेषान् पृकये मामहान तमः ग्रणीतमशिवेन पित्रा ।
आश्षी क्रुजाशं अश्विनापषत ज्योतिरन्धारय चक्रथुविचयों
शनमन्धाय भर॑महयत् सा वृकीरंश्िना वृषणा नरेतिं ।
जार। क॒नीन हवन चक्षदान कऋज़ाशं। शतमेक व मेप/न्
मद्दी वमृतिरंथ्विना मयोभू- रुत स्ाम घिंष्ण्णा स रिंणीथ। ।
अथा युवामिदहयत् पुराधि-राग॑च्छत सीं पृषणाववो।मिः
अधेंचु दस्रा स्तयं३ विप॑क्ता-मर्पिन्बर्त शयवें अश्विना भास् ।
युव शर्चीमिविस॒दाय जाया न्यूंहथु) पुरुमिश्रस्य योपम्
यब॒ वर्केणाश्रिना वपन्ते पे दुहन्ता मलुषाय दलस्ना ।
अमि दस्यु बर्कुरेणा धर्मन्तो-रु ज्योतिश्रक्रथुरायौय
आथवेणायांश्रिना दधीचे 5९८य शिर। भ्रत्यैरयतम्।
सथां मधु पर धोचदतायत् स्वाष्ट ययू देख्तावपिकृश््य वास्
९ [ दे० भश्विनी ]
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