जब खुद नहीं था | Jab Khud Nahin Tha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jab Khud Nahin Tha by नवीन सागर - Navin Sagar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नवीन सागर - Navin Sagar

Add Infomation AboutNavin Sagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
डुबा ले दु ख नहीं कोई कुछ म्लान त्ीजो पर चेहरों पर एक गहन आत्मा प्रसन्न विस्तृत आकाश खुला धरती अनन्त हो ऐसा। हो ऐसा! दूर-दूर तक ओझल अघकार पक्षों अपार पेड पेड से घनी उसकी छाया बहुत बड़े घेरे मे नाच नींद सपनों की महासृष्टि लहर-सी आये डुबा ले। जब खुद नहीं था. 25




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now