हिंदी काव्यकर | Hindi Kavyakar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.59 MB
कुल पष्ठ :
426
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कवीर श
डे
समाज में विप की भांति य्याप्त नाधपंभ्री योगियों, पंडितों श्रौर
मुस्लाओं के प्रसाव को ल्ट करने का वीढ़ा उठाया शरीर दूसरी
शोर उन्होंने हिन्दू श्र सुसलमान दोनों घर्मी के सूल-तव्वों को
लेकर एक सामान्यधर्म निकालने का प्रयरन किया । इस सामान्य
घर्म में उन्होंने योगियों का हृब्योग, सूफियों का प्रेस, घाहाणों
का भरें तचाद शरीर सुसलमानों का एकेश्वरवाद लेकर उसको ऐसा स्य
दिया कि जिसमें मानवत्ता की काया निखर उठी शोर साधक ंतर
सफतों को श्वपने ध्रनुकूल चस्तु मिल गई । कवीर ने जिस सामान्य
धर्म का उपदेश दिया था, चद्द जनता को रुचिकर इस लिए हुछा
कि उसमें सरलता थी श्रोंर सरलता के साथ सभी प्रकार के धर्मों
का सार तत्व उसमें सोजूद था | कवीर का चह सासान्य सारे कवीर-
पंथ कहलाया, जिसके श्रनुयायी लाखों की संख्या में दो गए श्ौर
« श्राज भी जिनकी कमी नहीं हैं ।
कचीर ने जिस संतमत के ध्ाधार पर श्रपना श्राध्यात्मिक ज्ञान
दिया उसमें घ्रह्म, जीव श्र साया का निरुपण उन्होंने विलकुल
श्पने ढंग से किया । कवीरदास का सस्वन्ध रामानन्द से था।
उन्हीं के द्वारा उन्हें ्ञान हुआ था । कवीरदास से स्वयं इस घात-
को स्वीकार किया हैं 1 रासानन्द रामाचुजाचार्य की परम्परा में श्राते
हैं घोर उस परम्परा के होते हुए भी उससे सिन्न सत का. सम्प्रदाय
का प्रचलन करने चाले हो गए हुं । रासाचुजाजाचाय का मत्त श्री
बंप्य सम्प्रदाय कहलाता हैं जब कि रामानन्द का सम्म्रदाय
श्री सम्प्रदाय कहलाता दे । रामानुजाचार्य के सम्मदाय में केवल उच्च
पृनन्काशी में इस प्रगट भए जि रासानन्द चिताए |
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