श्री राम चरितमानस | Shri Ram Charitramanas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
694
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)# बालकाण्ड $ २३
आकर चारि लाख चोरासी)जाति जीव जल थल नम वासी॥
सीय राममय सब जग जानी, करठँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥
जानि क्पाकर किंकर मोहू।सब्र मिलिकरहु छाड़ि छल छोहू॥
निज बुधि बल भरोस मोहि नाहीं। तातें मिनय कर सब पाहीं॥
करन चहउ रघुपति मुन गाहा। लघु मति मोरि चरित अवगाहा ॥
खज्न न एकउ अंग उपाऊ।मन मति रंक मनोरथ राऊ॥
मतिअतिनीच ऊँचि रुचिआछी।चहिअ अमिअजग जुरन छाछी
छंमिहहिं सअन मोरि ढिठाई। सुनिह्हिं बालवचन मन लाई॥।
जो घालक कह तोतरि चाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता
इंसिदहिं कूर कुटिल छुविचारी | जे पर दूपन भूपनघारी॥
“निज फित्त केदि लाग न मीका ) सरस होठ अथवा अति फीका॥
जे पर भनिति सनत हरपाहीं। ते चर पुरुष वहुत जग नाहीं।॥
जग वहु नर सर सरि सम भाई। जे निज बाद़ि चढ़हिं जल पाई॥
सखन सक्ृत सिंधु सम कोई । देखि पूर विधु बाहइ जोई॥
ची०-भागय छोट अग्िलापु बड़ करझँ एक बविस्त्रात |
पेहहिं घुस सुनि सुजन सच खल करिहहिं उपहात्त ॥ ८ ॥
खल परिहास होई हित मोरा। काक कहहिं कलकठ कठोरा॥
इंसहिं बक दादुर चातकही। हँसहिं मलिन खल ब्रिमल बतकही
कवित रसिक न राम पद नेहू। तिन््ह कह सुखद हास रस एहू॥
भापा भनिति भोरि मति मोरी । हँसिवे जोग हेँसें नहिं. खोरी॥
अर पद प्रीति न सामझि नीकी | तिन्हहि कथा सनि छागिहि पूरे *
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