कवि श्री माला तेलुगु | Kavi Shri Mala Telugu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1020 KB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रू
कह हामते प्रसिद्ध बामिकृकोडनु सुब्यापजने बास्मीरि-रामायथ का अषामूछ
अनुबाद किया उसके लीगत काकमें ही इस झगुबादके चार संस्करथ प्रकाणित हो मए
जऔे। उसकी ब्याक्याके झूपमें उन्होंने स्थथ मन्परमु सामक टीका पी छिली है।
प्राचीन सम्प्रदामको स छोड़ते हुए सबीन साबासे युक्त कबिता करनशाक्षोंमें
मी बैंकट-पार्वतीषबर कबि-मुस्म प्रमुख है। इनकी एकान्त सेवा एक ठरहते
मर्मकबिता (रहस्पणादी कबिता ) का बील बोनवाकी है ।
बीरेशप्तिमम प्तुरूजीत भी सृरूशुरूमें प्राचीन सम्प्ररायधादी रचताएँ की
थीं पर प्माज-सुघाएके लिए पद्चकी सपेक्षा गद्यको जपिक उपयुक्त मातकर बादमे
शहमें ही रचताएँ करम रग यए। क्षुक्ास्पथ-तिरोप्ट्य-सिरबंत्रस-नैपधमु_तामक
काब्यमें आपने अपसे पास्कित्यका प्रदर्शन किया है। इस प्रश्बको आपसे ठठ तेखुगु्मे
बिना थओष्ठप बर्सोके और गचन (गद्य) मे छिशा। उसके बघाइ 'नारइब-सरस्बती सम्मादमु,
में जापने निर्यीब-सी तेलुगु कबिताकौ बुईसाका हृदय गिवारक चित्रण किया।
बीरुषी छतीके पहुले शइसकरमें मध्षपि प्रात्ीत काष्यप्वायका जोर एहा
फिर भी नगीस कविता धीरे-धीरे अपनी बड़े जमामे रूगी पी। बुरणाडा बप्पा
शाबज्षीन मृत्याद्त सरमुखू तामक सय कवितामोके एक सप्रहका प्रकाप्तत बर तब
कुिताका सीयलस किया। केत्तपात कूल मेल कप्तमिक कोम्सेक्यूश जिम्म
(प्राचीन और नमीनके सुन्दर सम्मेसनसे सब आसोकझो फैछाते ) कबिता करनेकी
प्रतिद्या मूठ बस्तु, नाए छन््द और ध्यावह्वारिक भापाका प्रमोम करते हुए, सर्व सातब
'समत्व देशभक्ति आदि भाषसति सरी कबिताए डिकीं। दिप्तमप्टे सट्टि कादोवि देसमष्टे
मनुपुछ्तोमि ( देशका बर्य मिद्टटी गह्ठी हँ देशसे मतक्रब अनतासे है।) मस्त
अप्तदि भाक्त अग्रिते सेनुगूड मारू्तबुतानोमि [बदि अचक्काई मारा (हरिणत
पम्दम ) है तो में भी बही बनृंगा।] आदि पंक्ठिर्मोका सृमितियोके क्ोर्मे
झपमौग होता है।
और शामप्रो्नु सु्बाराजने प्राथीस सौरबका पान करते हुए, दयप्ट्रीयताके
भार्वोका प्रचार किया ला! आपपर विस्यकबि युक्देवका प्रभाव पड़ा था।
बेदसालकर बैसते शिक्षण
आाशिकास्य॑ बलरै विफ्रदह।
[बेरोंकौ ध्ाराएँ फैशन पड़ीं यहाँ वादि काष्य रा गया यहाँपर। ]
१९१३ में हू छ्दोंगे रूदिता तृथकंकणमु सामक रूष्ड कार्प्पोकपे
रचना कर, भाव कविता ( छामाजादी कबिठा ) के बीज ओोए।
२ दौ एतीढ़े बूछरे छठकमें स्वठस्त्रताका आन्दोलन जोर पकड़ने छपा।
सत्पाप्रहुसमरका सर्वप्रथम प्रारम्भ युस्टूर जिछेमें हुआ घा। साइमत कमौधषतद को
पहुंखौ बार काछ़ा झप्डा दिक्ानेबाछा और एक आन्य हो था। उस बौरका ताम था
री टंमुदूरि प्रकाएम पल्युमु क्रो बादमें शान्य-केसरी कहठाया। समर देशकौ
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