श्री जिनप्रभुसुरि | Shri Jinprabhusuri Ane Sultan Mahmmad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
204
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रास्ताविक
-०ल्डंअका्
आनंद-प्रमोदनो प्रसंग छे के-लगभग एक दसका पहेलां
संक्षिप्त लेखरूपे प्रकाशित थयेरू अम्हारों शुभ प्रवास, विशेष समृद
थइ विस्तृत स्वरूपमां जआाजे ग्रंथरूपे प्रकाशमां आवे छे. एना
अन्वेषणमां-प्रामाणिक ऐतिहासिक संशोधनमां केठलो परिश्रम
उठाव्यो हशे ? वर्षोना केटला प्रवत्नथी केवी केवी मुश्केलीओ बच्चे
आ गवेषणा थद् हशे ! ' श्रेयांसि बहुविधानि ! सूक्तने यथार्थ
प्रामाणिक करतां केवां केवां विध्नोमांधी पसार थइ आनी संकलना
थइ हशे १ अने वर्षो पछी आवा ख्वरूपमां आजे आ प्रसिद्धिमां
आवे छे, ते दरम्यान पण लेखकने केवा केवा प्रतिकूल संबोगो पसार
करवा पद्या हशे ? ते छेखके स्वये उच्चारवुं अप्रस्तुत लेखाब.
इतिहासंग्रेमी परिश्रमविज्ञ सजनो कदाच ए समनी शके.
आ परिश्रम, आवा संशोधित-वधित नवीन स्वरूपमां प्रका-
शर्मां आबी शकयों छे, तेनो वास्तविक सुयश, इतिहासप्रेमी
गुणज्ञ जेनाचायें श्रीजिनहरिसागरसरिजी महाराजने घंटे छे,
जेमना प्रेरणा-प्रोत्साहन विना आ निवंध-पशथस प्रकाशन कार्य
प्राय: अशक्य थयुं होत. शासन-प्रभावक माननीय पूज्य पूरवज
आचार्योना इतिहास-संशोधनमां अने तेना प्रकाशनमां असाधारण
उत्केठा घरावनार उपयुक्त आचार्यना आदशैने - छृतज्ञ अन्य महा-
नुभावे। पण अनुसरे-णम इच्छीशुं.
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