भास नाटक चक्रम भाग 1 | The Bhasanatakachakram Bhag 1

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The Bhasanatakachakram Bhag 1  by सुधाकर मालवीय - Sudhakar Maalviya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २० ) 9 काल्पनिक-- १३, चारुदत्तम्‌- इसमे विर्धव कित्तु उदारमता ब्राह्मण चाहदतच एड शणिका वक्सेना के प्रेम सम्बन्ध का वर्णन है। नायक के नाम पर ही नाटक का नाम 'चारुदत्त' रखा गया है! यह चार अक का 'प्रकरण' है । भास की नाट्यकछा और मध्यभव्यायोग इस प्रकार मास ने अपने प्राय समी नाटकों की कथावस्तु रामायण व महामारत से ली है। कुछ वृहत्‌कथा पर आधघृत है और एक काल्पनिक है। मास मे जो भी कथात्नोत ग्रहण किया उसे सभी नाटकों मे उन्होंने अपने रुचिः के अनुसार बदल दिया है। इसी कारण प्राय सभी कथानक बडे ही रोचक हो गये हैं और मचन के योग्य हो गए हैं। इनमे नाटयनिदेश बहुत कम हैं, जिसे अभिनेता को स्वय ही करना है। मध्यमब्यापोग मे भी इसी प्रक्नार 'नाटय- निर्देश! बहुत कम है और महामारत के ही पात्रों को लेकर घटना का क्रम कल्पित है । नाटक बहुत बडा नही है। मात्र कुछ घण्डो का ही दृश्य है जिसमे नाटक समाप्त हो जाता है जत्त इसका सफलतापूर्वक मचन क्रिया जा सकता है 8 सध्यमव्यायोग की समीक्षा भध्यम्रव्यापोण की कयावस्तु-- मध्यमब्यायोग की कथावस्तु का प्रारम्भ बाह्मण परिवार और घटोत्कच की आकस्मिक मुलाकात से होता है । कुर्जाहूल प्रदेश के यूपग्राम के निवातती अध्वर्यु बेशवदास अपने सातुल यज्ञवच्धु के यहाँ उपनयन सस्कार में सम्मिलित होने के लिए उद्यामक ग्राम जा रहे हैँ ॥ उनके साथ उनके तीन पुत्र और पत्नी भी हैं। जाने का मार्ग जद्धूल से होकर पडता है। दुर्योधन से जुए में पराजित पाण्डव इसी वन मे निवास कर रहे है । किस्तु इस समय वे धौष्य महँपि के आश्रम पर “शतकुम्भो नामक यज्ञ देखने गए हैं। मात्र भीम निवासस्थान के रक्षार्थे कक गए हैं। इसी समय घटोत्कच भी माता को आज्ञा से उसके उपवास के पारणार्थ एक मानव को लाने के लिए चल पड़ा है। घटीत्कच ब्राह्मण परिवार का पीछा-करता है। वह राक्षस तरुण सूर्य की किरणों के समान वियरे वालो वाला, घ्रूकूटि की भद्धी से अ्रदीक्त एव पीले रू की अआंँद्ों वाला, कण्ठमूत्र से युक्त, विद्युत युक्त मेघ के समान स्थित घुग के सहार मे श्रवृत्त भगवान्‌ शक्कूर की अ्रतिकृति रूप है। उसकी दोनों अंबे सूये-चर्दर _ की भाँति चमकीली हैं, दक्षस्थल विस्तृत है, वह पोला कौश्ेय वहन पहने हुए




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