सूर की झाँकी | Sur Ki Jhanki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
83 MB
कुल पष्ठ :
269
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९७)
अत्यन्त हो प्रसिद्ध स्यापारी जाति थी । जो दुर्दूर देशों में जाकर
शाणिस्य करतो थी । वेदों की साक्षी से होता हू कि मह
जासि सलखन-वल्ला में सिद्धहस्त थी अयोंवि बैदों में प्रधिन'
कहा गया है | इनके पास विशार सोहे के कोट थे ये सोम विक्रेसा
थे प्रौर य क्षार्पों की गायें चुरा ले णाते थे । इन्द्र ने हन्हें यु में
जीत कर सप्त सिधुभों बा जलमोचम किया | अब यह उल्लेखनीम
है प्लौर विचारणीय हे कि आभायों की खेदय जाति का विदा धाम्द
प्रौर अनायों की जाति के च्योतक इस पणिस मा 'बणिक' का बसे
पर्यायेषाची हो गया। निश्चय ही ये दोनों वर्ग परस्पर शिल्ष-जुल गमे
होंगे । इस मेंछ जोर में ही सम्भवत गह रहस्य छिपा होगा कि
प्विव का स्थान विष्णु ने प्रहण कर छिया |
श्रार्यो प्रौर अमार्यो के इस मेछ-जोल ने देवताशों के संवध
में हो वहू तर अबस्था प्रस्तुत कर दी वि इन्द्र विष्मु शिव में
कोई भेद नहीं रहा ठीक वेसे हरी जेसे कवीर ने सिद्ध करने की
ेप्टा की कि राम भौर रहीम में कोई मेद नहीं। यह तरछता सार्पो'
के बिविध वर्गों गे देवसाप्रों के नामों के सम्बन्ध में भी थी। विष्णु
बे पर्यामवाच्री जिप्णु क्षस्य को शिगा जाय तो बिदित होगा कि
यह सूर्य, इस्द्र, 2023 मे एिए आता हू। दिब को महेन्द्र
बनाया गया 'मह से सत्यन्त सादर प्रदान किया गया प्लोर
अन्त में बही “महेन्द्र सीसरे स्थान पर पहुँच गये ।
का प्रौर बिप्णु की हूहना से यह भी विदित होता है
कि 20 जि' है इसका शब्दार्थ होता है विजय की
योग्यता वाला ) इसी अर्थ के कारण इन्द्र पे, बिप्मु ही
लिख कि भी हा लो प्रकार 'वि-माक्ष है ।
जिससे हुआ-मोक्ष की योग्यता रखने बाछा-मोक्ष दाता ।
इस साक्ष बा भाष इन्द्र के साथ दृद्ठ प्रौर पणिस से बल मोक्ष का
हैं भौर वरुण गे साथ पाध-मोक्ष अपबा शुन शेफ ने मोक्ष वा है
तमी विष्णु उपेन्द्र हे ।
विष्णु के सम्यम्ध में प्हूग्वेद में उसके हीन पदों की वात कई
स्थलों पर मिछठती है | क्िणु के सीन पदो में सारे ससार का
तपा यक्ति का सापा जाना हम पौरासिक गाया को माँति सुमते
आये हैं । इसबा बीज समवत वेद गे यही सीन रहस्यमय पथ
हैं। यहाँ उनफी व्यास्या “मू , 'मुष 'स्व के द्वारा को जाती है ।
उसबा एक पद पृथ्वी पर, दूसरा अस्ठरिक्ष खथवा वायु में भौर
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