वृक्ष में जीव है | Varakhs Main Jeev Hai

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Varakhs Main Jeev Hai by श्री मङ्गलानन्द पुरी - Sri Manglanand Puri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका (श्रीमान साननी ये - परिडत फेशवब राव जी जज हाईकोर्ट हेद्रावाद्‌ ददिणष लिखित ) , छ वास्तव में इस पुस्‍्वकू की भूमिका राव आत्माराम जी बढ़ौदा निवासी लिखने वाले थे । जिस योग्यता से वे इस ' कार्य को सम्पादन करत , आये भाषा के सेवकों में बैसा दूसरा कोई मुझे नहीं दिपलाई पड़ता । अवोचीन चिज्ञाने- शास्त्र रूपी यम्त्रों के द्वारा प्राचीन आये सभ्यता की कानों में स चमडीले रत्नों को निश्तालने में जे्ती उनकी निपुणता देखी जाती है, चैसी बहुत द्वी कम लोगों में है। झौर इसी निपुणता फे आधार पर वृक्षों में जीव के अस्तित्व को स्व प्रमाण सिद्ध ऋरने बालो इस खणमयी पुस्तक पर जिस योग्य रीति से राब जी सुद्दागा लगा सकते थे मुमो खेंद है कि उस योग्यता से में इस कार्य को नदी कर सकता। राब जी के बहुत अधिक बीमार दोने के कारण गूस्थ-फर्तो ने यह कार्य मुझ खे सम्पादित कराने की अभिलाषा की। , इस कारय-भार का मेरे प्तिर पर पड़ने का एक और




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