एक क्रांतिकारी के संस्मरण | Ek Krantikari Ke Sansmaran

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Ek Krantikari Ke Sansmaran by क्रोपोंटकिन प्रिंस - Kropotakin Prins

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धोर राजभवतर मिलिटिरी कालेज और कहा इस प्रकार वा साहित्य ! पर ऋतिकारी विचारों की छहरी को कोई दीवार नहीं रोक सकती और वह सभी विध्न-बाधाओं को पार करती हुई स्वाबीनता-प्रिय पुरपो के हृदय सक पहुच ही जाती है, क्योकि वे हृदय से निकली हुई होती है । नियक्ति जब क्रोपॉटकिन अपनी शिक्षा समाप्त कर चुके, तो उनकी नियुवित्त का समय आया। इन लोगो को, जो फौज में जाकर अफसर बनते जधि- कार था कि वे अपनी-अपनी इच्छानसार अपनी रेजीमेट चुन खेते थे। कोर्ड तोपखाने में जाता था तो कोई कज्जाक सेना में सम्मिक्तित होता था। के किन की इच्छा सैनिक बनने की विरकुल नहीं थी। वह कालेज में उध्ययन करना चाहते थे, पर उनके पिता उसके सर्वथा विरुद्ध थे, उसादिए वह छात्रार थे। क्रीपॉटमिन के अन्य साथियों ने भिन्न-भिन्न रेजीमेंदी में अफसर दनने का विचार किया, पर क्रीपॉटकिन ने साइवेरिया की कज्जाक-सेना में जफसर बनने का निष्चय किया । उस रात को सुनकर क्रोपाटक्रिन के साथी दग रह गए। कोई-कोई कहने लगें--- साइवेरिया ! अरे भाई, मजाक तो नहीं कर रहे | सचमुच तुम बडे दिल्दगीवाद़ हो | भला उस मनहस मुल्क में जाकर बया करोगे? ” पर क्रोपाटकिन ने मजाक नहीं किया था। उन्होंने भगीए था अत्यत परिश्रम के साथ अध्ययन किया था, और उनकी 5च्छा थी हि साए वेरिया पहुचकर आमूर नदी के विपय में कुछ वैज्ञानिक धनुसधान छरे । एसरे साथ ही उन्हे इस बात की भागा धी कि साइवेरिया पहचवर वह उन राज- नैतिक सुधारों को, जो घीघर ही होनेवारे थे. कार्य सूप में पच्णित बरने रा अवमर प्राप्त करेंगे। साइवेरिया जाना कोर्र पसद नही झरता था, और एइस- लिए क्रोयॉटकिन ने सोचा कि वहा रच्छानुसार कार्य वरने थे दिए फिल्तृत स्तन मिलेगा | हा ज्ञार से बातचीत तमाम घर अफसर ८पने-अपने स्पानों फो जाने ने पर ले ५5 ४ हक । है| ह । ' ८ ह प्र ५ बने




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