प्रभाकर-निबन्धावली | Prabhakar Nibandhavali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कति कौर कदिता बज अर 1 इस कग्रिता का इतना असर हुआ ऊझि फोरन मेगरायालों पर £ चढ़ाई कर दी गई ओर जिस टापू के लिए यह वस्लेडा हुआ था, £ उसे एथेन्सवालो ने लेकर ही चेन लिया | इस चढाई में सालन ही ' सेनापति बनाया गया था । |. रोम, इँगलैड, अरय, फारस आठि ठेशो में इस वात के फडो उदाहरण मोजूद है. कि कवियों ने असम्भय बातें समच कर दियाई हैं | जहाँ पस्त दिम्सती का दोर ठोस था, वहाँ जोश पेंदा कर दिया है। जहाँ शाति थी, यहाँ गदर मचा दिया है। अतण्व ! कविता एक असाधारण चीज़ है । परन्तु पिरले ही को सत्कति / होने का सोभाग्य आआप्त होता है। जय तक ज्ञान-बृद्धि नहीं दोती--मन तक सभ्यता का जमाना नहीं आता--तभी तक कपिता की विशेष उनति होती है, क्योकि सभ्यता और कविता में परस्पर परिरोध है। सभ्यता ओर विद्या की बृद्धि होने से ऊम्रिता का असर कम हो जाता है। कविता में कुछ न कुछ भूठ का अश जरूर रहता है। असभ्य अथया अर्द- 1 सभ्य लोगों का यह अश उमर सटकता है, शिक्षित और सम्य लोगों को बहुत 1 तुलसीदास की रामामण के खास एस स्थलों का जितना प्रभाव स्त्रियो पर पडता है उतना पढे लिसे आदमियो पर नहीं। पुराने कात्यों को पढने से लोगो का चित्त जितना पहले आकृष्ट होता था,' उतना अब नहीं होता। हज़ारों वर्ष से .. कपिता का क्रम भारी है। जित प्राऊत वातो का वर्णन कवि करते ४ हैं, उतका वर्णन बटुत्त कुछ अब त्तऊ हो चुका । जो नये कवि होते हैं, वे भी उलट फेर से आय उन्हीं बातो का वर्णन करते हैं । इसी से अय ऊव्िता कम हृदयप्राहिणी होती है । डर |




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