श्री मद्भागवत समीक्षा | Shri Madbhagawat Samiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
406
श्रेणी :
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छुट्टनलाल स्वामी - Chhuttanlal Swami
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तुलसीराम स्वामी - Tulasiram Svami
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ओशइस्
अथ प्रथमस्कन्धसमीक्षा
“+२+४६2१#<:7<“०५
.._१-प्रथभस्कत्च के आारस्म में कोई “ उवाच » नहीं है, प्रथम जोक सें
स्तुति है, दूसरे में लिखा है क्षिः-
श्रीमद्वागवते महामुनिकछ्ठते कि वा परेरीखर:।
भ्धोत् महामुनि व्यास की बनाई भागवत है ॥
ससीक्षा-इस से प्रतीत होता है कि यह अन्योक्ति है, व्यासोक्ति नहीं ॥
२-श्लोक ३ सें-
निगमकल्पतरोगंलितं फल शुकमुखादम्॒तद्गवस युतम् ।
पिबतभागवतं रसमालयं मुहुरहो रसिका भुवि भावुका:॥३॥
अर्थोत् वेद्रूपी कल्पदृक्ष से शुकमुख द्वारा चुवे फल के अमृत की चारा से
युक्त ्ञागवतरूप रस का पान करो | यहां क्षागबत बेद् का फ बताया है,
-शुकदेव मुनि को तोता कहा है, भला ये श्लोक व्यासकत कैंसे हो सकेंगे जिन
[ में व्यास अपने को हो सहामुनि कह कर अन्योक्तिवत् कद्दते हैं ?
३-छ्लोक 9 में भी कहा है किः-
यानिवेद॒विदां श्रेष्टी मगवान्वादरायण: ।
अधे-जो बेद्विदों में श्रेष्ठ व्यास भ्षणवान् ने बनाया है और अन्यों के
' बनाये शासत्र तुसत जानते हो ॥
इस से यह भी व्यांसोक्ति नहीं सिह होती । तथा घच--7
ज्ञोक ६ से ” ऋषयकचुः ? है, “ व्यासडबाद ” है हो नहीं ॥
३-वािसार- 9. फमनक-+->>तया+न
भागवत का कलियुग में बनना
भाहात्मय में श्री दर्शा घुके हैं, बहुत से प्रमाण भो देचुके हैं, भत्र शोक
१० स्क? १ भी दिखाते हैं। यथा-- ः
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