कवि श्री माला तमिल | Kavi Shri Mala Tamil
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श७छ
छनताकी सापामें जनताके ई दिपसको फलेकर रचनाएँ होन सगौ। इसीका परिणाम
सह हुआ कि पह्ूदु हुरबचि आदि साहित्यकी रचना होत समी। मह परम्परा
अत्रइगी सर्देस ह अछलने रूपी। उभ्ीसबी सर्द के बेइनाझकम पिस्लैं इस परम्पराके
प्रमुख कमि है। माधुनिक इसके सर्ज प्रथम उपस्यास॒प्रठाप मुदछियार श्वरित्तिरम ?
को रचना मापन ई मर थी। बे ईसाई पे। उनके बिचआरोपर अन्य उत्कृष्ट कर्मदियोंका
प्रभाव पड़ा बा।
कंपिले माम पिडिप्पद्ु छुप मारे!
पक्कात्तिर बैप्पूडुदों कम्मस्कोसे।॥
फ्रैप्पापत्तितम पडिप्पयु दर्म सूखे ।
पैलुम मैसुम समकडछु शुस्माव्बेस ।।१।॥
भोर पेच बेध्घाम एसु कोडदोस सप्तियासम।
अर्नरिस्त डह्छ पेजप्रट मोबेस्ाम नेप्तम॥
पहाष्पक्ति इक्ताइ पोषृपषषासम।
पप्चिफ्तारू ओद पाते परुश्क॑क्कु लाध्तम ॥र।॥।
उफसठततित अप कक एस्जुम कशुबोल।
डडसे तु ु तौरिस अडिक्कडि दिप भोस।।
कम्रछत्तर सापक्ष्याप्शिमुप्त अपुबोण।
काछुरकु तापैयूम के करपीटूट सोद बोम॥३॥
[झपमें तो हम चप-मारूा ग्रह करते है पर बगछमें रखते है पेप्न
झूगागके जौजार | यदि धर्मप्रश्योको पढ़ते है फिर भी हमारी कुमार्गी प्रदृत्ति दिन प्रति
दिस बड़तो हू जात॑ है॥१॥
एक स्त्री पसल्द नहीं जाई तो स्न्याप्त प्रहरप कर किया पर प्यार करमे
झूथ गगर भरी स्त्रियोसि। झब सूख महीँ रूमर्त' तब तो उपबास कर केठे हैँ भौर
अषद भूछ रण्ठी है ठव जूब खा छेते है !1२॥।
मगढ़ा मै कभी दूर तह्टी करते पर तनका सैर बूर कएसके छिए बाए-आार
पार में शुबकियाँ गाते है। विद्रहक सामत तो फूट प्टूटकर रोते है पर ए७-एक पाएके
हिय गए गसेके सामन भी हाथ जोड़कर मुरामी करते है।॥॥ ]
इस बौसदौ सद्ीके आर मद्धान्ू कवि सुब्ह्मश्यमत भारती भारतीदास
कदि मनि देश्षिक शिगायकम् पिस्सैं बौर शामश्कल रामकियम पिल्से है। इनमें भारत'
की चर्चा अग्पत्र हो ईं चुका है। शामक्कर रामसिसम पिस्सेर्शी अर्चा इसे पुस्तकम
शान होग। इतके मतिरिका भाएदास” अशन््तिकारी झुमि है। इतकी एक
इल्तप्ट रचना है “ पुरट्चि कणि जिसका अर्ज है ” ऋणन्तिकारी रुबि ” | इस रचनाके
शआाधारपए इसका नाम हू भ्यस्ठिकारी कबि पड़ सया। इसकी रचनाएँ है---/ संजीबि
क तमिद रा -२
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