श्री वृन्दावन - महिमामृतम् | Shrivrindawan - Mahimamritam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५.०“ उपासक की उपासना अपने उपास्य के नाम, रूप, गुण-लीला
... एवं धाम--इन चारों स्वरूपछबि को हृदय में धारण करने से
-सुसम्पन्न होती है। किन्तु नाम, हुप, गुण-लीला--इन तीनों का. ०
सर्वातिशायी माधुयें धाम में ही स्फुरित होता है। अतः उपासना...
: कार्य के धाम का मुख्य स्थात है। सर्वारिध्य परमत्रह्म पे
भगवान् श्रीजरजेस्नल्दन के नाम-रूप-गुरा-लीला-धाम व्रत |!
: अनेकों ग्रन्थरत्न स्वभावसिद्ध परमोदार वैष्णवावाद पादों ने.
साधक-समाज के लिये सद्भूलित किये हैं। उनमें परमधाम स्वरूप-
_ बर्णानप्रधान एक अनिवेचनीय, अमूल्य अन्थरत्न यह-श्रीवृन्दावन- ._
महिमासुत है। इसमें दिव्य चिद्घनस्वरूप, महामाइग्ैसार 17
. ज्ञाम श्रीवुन्दाबन की आाश्चयेमय स्वरूपमाधुरी तथा झागाज
.. भहिमामाछुरी के आस्वादन के साथ साथ श्रीक्षीयुगलकिशोर की ._
असमोर्ड उन्नतोज्ज्वल रसमयी दिव्य दिव्य अनेक लीलाओं की...
: अपूर्व झाँकी है ।
5.1. प्रस्तुत प्रन््थ-श्रीवृस्दावन-महिमासुतस् के रखयिता भगवात््
. श्रीकृष्णाचैतन्य महाप्रभ्ुु के प्रियपापेंद परमाभिवन्दनीय परि-
.. ब्राजकाचार्य-मुकुटमणि श्रीक्रवोबानन्द सरस्वतीपाद हैं । जिनका
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