ओम वाल्मीकीय - रामायणम् अयोध्या - काण्डम् | Om Valmikiy Ramayanan Ayodhya Kandam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
501
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अयोध्या-काण्डमू २। ११॥ ९
#*उपसेवितुमिच्छामि श्रेयोज्थी च्ठमात्मनः ।
#मबतोष्नुमते राजन्पदेष्डु तान्ममाहामे ॥ ६ ॥*
भुल्वैवे जृपतियाक्ध कैकेयो मस्तम्थ सः ।!
व्यादिदेश प्रहषात्मा तम्पाचायोन्विपश्ितः ॥४ ७ ॥
इप्ताशुपास्प प्रयत्न मरत+ फेकयीसुतः ।/
अवेददेदांगशासाणां पेठन तत्पगेज्मवन् ॥“८ ॥ 7
सर्बविद्यासू फुशलाव पर हर्पमयाप है ।
प्रदाप शिष्ममात्मानं सेम्पः स रघुनन्दनः ॥ ९॥
आयचार्येम्पस्ततो विधों धर्मेणाधितगार्मे द ।*
ऑजषग्राद बेदवेदांगशाय्राणि गुणइद्धये । १० ॥
सो इलुपूर्वेण तान्सवोन परिजग्राद सुश्रतः
सह आगरा मदहातेजाः शपुगेन यशमिना ॥ ११ ॥*
एयशायायहस्तपु यतेमानो नरोरमः ।
१२ ये, शु, पू, दी, रा-नास्ति। १३ थे, शु, पे, दी, रा--
शल्य तु भसतस्वैतझचः परमशएवान ।
आशापयत्तदा राजा यदुक्ते भरतेन थे ॥
१४ पे--च यम | १५ दे-प्रदण । १८ सं, गु, पृ. दी, र--नास्वि। १७
थे, ग॒, पूं, दी, रा-थर सु भरता राण इयादिएनन पुग्ण्ंस्तशा। एस्य
घिफमप्रे ॥ १८ पे-साग् सर्वदियाफुश० ६ पै-०्कुशलः $ १० शु,
पूं, दी रा--5छ्वत्व विद्या । चे--०स्तश विधा । २० बी--०मिजगाम ।
२९ घे, गु, पूं, दी, रा-नास्ति1 २२ फै-आजुपूरप्यण ताः सथोः । रे३े प-+
चाज | २४ पू-धर्न्स नप्सक्तम । दौ-हावर्श्स स्पृत्तमः । पं--
परलेते रघुनन्दन ।
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