मृगतृष्णा | Mrig Trishna

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Mrig Trishna by पर्ल बक -Pearl Buck

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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51200. ४८८८ बम उसे इसके साथ किसी ने देखा नहीं था। दोपहरी य्ल रही थी और लोग अपने अपने घरों में एकाध घण्टे की नींद ले रहे थे । ४शापको भेरे साथ नहीं आना चाहिए, उसने विवशता के साथ कहा, “यदि आप नहीं मानते तो में सचमुच सकट में पड़ जाऊँगी। 'धोसा है तो में नी आऊँगा, उसने तुरन्त कहा | “पर कल मैं फिर यहों आऊँगा । और यह मेरा परिचय-पत्र है | --उसने अपनी जैब से एक छोटा-सा चमडे का डिब्बा निकाला। उससे एक पतला-सा परिचय-पतर निकालकर उसने उसकी तरफ चढायां। जब॑ तक जोशुई ने उसे लेन लिया उसका हाथ फैला रहा । उसपर छुपा था--सेउिएड लेफ्निन्ट एलेन कनेडी | (क्या आप मुझे अपना नाम व सिला हुआ उस उन अ्रमरीकियों उसका जीवन ए/ कठिन था। उसके ३ इ मु घ न थे जो उसने वैलिपोर्निया में बिताया था। वह लोग तो उससे इसी कारण ' घृणा करते थे। उसकी प्रशसा के उनके मिथ्या प्रयासों में भी उनकी ईर्ष्या भलक्ती थीं ! “भ्रेरा नाम जोशुई सकाई है।” “जोशुई सकाई,” उसने नाम दोहरया, “यह ने बताओओगी कहा रहती हो १? घह धर गई ओर इन्कारी का सर हिलाया। लेकिन उसकी बड़ी बड़ी जादूभरी ऑखे अनुनय कर रही थी, और वह उस अनुनय को अस्वीकार न कर सकी | उसके भीतर अनुराग की ऊष्णता जग उठी थी, मन चाहता था हँसे । समक न सको क्‍या करे क्‍या न करे, इसीलिए अपनी छुतरी बन्दकर ली, फाठक के अन्दर भाग गई और, बॉसों के तेईस उप




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