पुण्यान्जली | Punyanjalee
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| तर्ज - पछी बनूं उड़ती फिरु ह हा
>++++ सकल मनन अनबन नमन जन. + न»
बडी खुशनसीब हूँ मै, राम शरण मे,
आज मै आनद पाऊ राम शरण मे ।।टेर।।
इनके चरणो की करे उपासना, इनसे सीखे हम सयम की साधना।
हमने पाया है दिव्य उजारा, अब करना है धर्म प्रभावना।।
' त्याग तप ध्यान मे ही रहूँ मगन मे | ।1 ।।
ये पूनम के चाँद है प्यारे, पर इसमे नही दाग काले।
ये सूरज है कितने सुहाने, पर ये नही आग निकाले।।
तेज तेरा ओज तेरा कण-कण मे । 2 | ।
तेरा सकेत जब-जब पाये ये कदम मेरे बढते ही जाए।
तेरी आज्ञा मे ही हम रहेगे तेरे शासन मे हरदम मुस्काए।।
“पुण्य” प्रवर मोद करे गणवन मे | ।3 ।।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...