पुण्यान्जली | Punyanjalee

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Book Image : पुण्यान्जली   - Punyanjalee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| तर्ज - पछी बनूं उड़ती फिरु ह हा >++++ सकल मनन अनबन नमन जन. + न» बडी खुशनसीब हूँ मै, राम शरण मे, आज मै आनद पाऊ राम शरण मे ।।टेर।। इनके चरणो की करे उपासना, इनसे सीखे हम सयम की साधना। हमने पाया है दिव्य उजारा, अब करना है धर्म प्रभावना।। ' त्याग तप ध्यान मे ही रहूँ मगन मे | ।1 ।। ये पूनम के चाँद है प्यारे, पर इसमे नही दाग काले। ये सूरज है कितने सुहाने, पर ये नही आग निकाले।। तेज तेरा ओज तेरा कण-कण मे । 2 | । तेरा सकेत जब-जब पाये ये कदम मेरे बढते ही जाए। तेरी आज्ञा मे ही हम रहेगे तेरे शासन मे हरदम मुस्काए।। “पुण्य” प्रवर मोद करे गणवन मे | ।3 ।।




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