अर्द्ध - मागधी कोष भाग - 2 | Arddha-magadhi Kosh Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
56 MB
कुल पष्ठ :
1036
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रत्नचन्द्रजी महाराज - Ratnachandraji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आातईमेत्त ]
( १६ )
[ श्रायच्चु
एत्राणर धावे एुणंग३, ए१8४॥४ हाए | अरगेसार- पुँ७ ग० ( चागन्त्रगार ) आाथनपु६-
४8 ['&88112. पंचा०_ ३२, २५, +गइवि-
रण ण॒. न० ( गतिविज्ञान) 5 थी खाये ने
$1 ०४] ते निर्शु4 इरवके। ते भूत भविष्य के
जन्म का निणेय करना दातए्ट|९त89 ०
शी8 [0४४6 वे ४109 पिपा'8 70 ४15
6606; +7०9४]60₹0 ० 11608०086
भाएे.. णातात107, “ आागश्गइविएणाण
इमस्स तह पुष्छ पाएण ” पंचा० २, २५,
+गइविज्ञाप जि* ( -गतिक्द्धात )
जावरा व्यू थी, छाववा आ/क्षषाथी ७1रफे
ग्ए्जुजेव, त5५ भाथी छायाभां जने णवामा-
थी त५४ भ' उतर खा अस्त थी छब
श्पे /णुवेन वथरव-- ले देव साहि
891. आवब, गमन रूप क्ित्रा से जीवत्व का बाव
हाना; जफ कि किसो के हलन चलन या आन
जान स यह जातना कि इस में जाव है
छठफा॥ 0 93 पाए 9५ ४0 शार्प
10 18%101, 6७. 8 & ४घाए 1188४
8660. दस +* ४;
आगहमित्त-, न० ( अऊकूतिमात्र) ख्यत्वार
+म+ आकार मात्र ऐशोए ७1० शीत08
विवा० १३
छझगतगार न० (* अ गन््त'सार-ग्रागन्वुद
गृह ) २५६ द्पड्ि जिरेते उवरवावु सेथान
अव्पागर आदि के उतरन का स्थान, सराय,
घश्शाला आवेधिशाना (आासएशाहपाएुड
७ 10७३9 10८०1 0 ५811918. “ झागतगरे
अ, रामगारे समश उभसातेश उदेतिवासं ”
सूर« २, ६ १४.
झआापव-दः न० ( आगनतब्ध ) औ१३- आना
(0 ॥र्ट्र सु चु० $ १४३,
अर एर त्रि० ( आगस्ड ) खारतार आने
वाला- ( (0३७ ) ए]10 00168, ६ 00101:
“ जहर श्वारों महब्सये ” सूय० १, २, १, १६:
है, २, ९, है, १ ११, ३१) ०
भेस ४रे ने 8+रवानी परभशाक्ष', धमशाला;
सराय 2 1100756 107 परमए७1|०18; 8
0६1 8ए818817ए. झ्राया* ३, १, ८, ४४;
निसी० ३, १;
आगेतु त्रि० ( आगनु ) अतिथि, भुस'एइर,
ऋानेवाला, मुसाफिर ४ ६89४91101;
& £0106865. सूथ० १, १, ३, १; २+
२, ८१, कष्प० २, ८७; +छेय- पुं०
(-च्छेइ 9 सविष्यमा आपम्त यवाबु हाय
केवु कवर करेरेयी च्छेध्न उस्छु ते.
भविष्य में प्राप्त ने वाले का तलवार श्रादि
से च्छेदन करना 0०8घााठ1079
01860 एल 18 60 ०णा०; 6. 8:
एह1 & 80010 6६0 सूय० २, २, ६१;
“--पेय. पु० (-भेद ) भविष्यमां अ प्यवानुं
हे तेद जाक्षा पोेरेयी बरेहन 3२३ ते.
भविष्यसे आनेवाले का भाला वगरह
से भेदन करना 191०2 ०. € ७1(7
8 वद्वा106 600, ० 180 जाती 18
६0 ०0796 07 ६0 968 0000पा10०४७४वं
11 116 विधा-० सूय० २, २, ८१३
आगंतुग. त्रि० ( आगन्तुकः) ्थतिथि, मुसाइ२-
इ1पही पभेरे अतिथि, मुसाफर: ( 076 )
ए10 8४०8, 8. 2. 8 ए'8ए०1167
०७1९० शझोघ० नि० २१६; (२ ) खाववाना
डपसर्ग भावा उपसर्ग-भय 116 िपा'७
60पा)७ “८ झागतुगोय पीलाकरों य जो*
से उवसग्गो ” पंचा० १६, ८; सूच० नि०
१, ३, १) '४ ५३
आगंतुय. त्रि० ( झगन्तुक ) खुओ। ठपते।
शण्क ठेखा “ आगंतरुग ” शब्द. ४109,
«४ झआझगतुग ? आंध० न० २१६;
६“अआगचछ धा० 7 (आकंगम् ) ले 15:
खादी पेयु, आना, आ पहुचना. 1०
७0106३$ (0० धात1२89-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...