हिन्दी उपन्यास पृष्ठभूमि और परम्परा | Hindi Upanyas Prishth Bhumi Aur Parampara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्ताहना ] [२१
माप नहन्हों रखठा। तारा झकरतराठक्ष न टिटाज सासाबिक न्याय
(१९१९) में आहाच्य कान क बाट के हुऊ प्रतिनिधि त्ववासकारों वा
परिचय टिया है॥ ट्िवनाराबा छाल शखाबास्तव न हिटी तप्रयाड (१९४०)
डिल्कर मवप्रथम एविहासिशद थोए फपत्यामतर आशाचना-यझवियों का
समस्वय किया और एक मटान अमाव की प्रति का | विवाटमदझर व्यास की
“पयासनकटा (१९८१) विटायर कौर भारठीय छायास का परिचय दही
है। पया प्रसाठ पर'डेय का हिठी कया-्सादिय! (१ २१) कठिए्य कयाकरों
के धाटिय का निपयामसक आहाचना डै 1 परुमहाक् पुठाछाट बक्यो कया
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उसके पुरात-नय निदर्धों का सकटन है डिसमें व्यक्तित्र रुचि स गामीर
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हुए हिल्ती-जपरयात्ध का एतिहासिर ”प्टि से बछायन डिया है छ्यर प्रारम्मिक
_०यासशर्शे ब्य अपक्षिव पृष्ठ टिए हैं । विनुवन बिंह का हिन्द उप्रय्रास
जौर यवायवाट (१९५५) एक अभिनव प्रयास है।
सिद्धान्त
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(१९३२) में “या का वरदिर” बौर विवचन ठट्खन के एन दटादबाान
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विचासत्त झुक व्यास्या पर्तुत झा! उतकी परिमाषरा खारानित है. दपायाय
मष्य रू दास्तदिद्म घादन छो जान्पनिझ रुया है! । डा० रमशुमार दसा का
साहिए-ममाटाचना (१९३८) बात दिपय पर आन हर की रचदा हैं।
पर० विश्वताय प्रदाद मिथ का दाहमंय हिमाय (३ ४२) समीला “गाज में
एंड नूल्ल ब्र्याय शोटत्प है | >हीने ध्यसेद बोर प्राचात्य दिद्धास्वों का ५,
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