अफगानस्थान का इतिहास | Afganstan ka Itihas

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Afganstan ka Itihas  by नटवर चक्रवर्ती - Natwar Chakrawarti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अफ़यगानस्थान उत्तान्त 1 | शट है। खदेशमे भाँति भातिकी कठिनाइया वरदश्मत कर सकते हैं। शिकार ओर घोडेकी सवारोके वहुत शौकीन होते हैं। बख्ूफ णोर ; ऐ्लेसे बहुत, अच्छा लिश्ागा लगाते हैं। प्रमन्नवदव जोर व्याक्नाहित रचते हैं। उनमे अग्याशों खूब कैली छुई है। विदेशियोंफे' सासने वचुुत चघमण्ड दिखाते हैं। अफगान सन्नी सम्पुदायक्षे सुसलसान हैं।._, है संध्यर्षे णो वा निम्न णोफ़े अफगोकी पोशाक तो वहीं है, जो इस देशमें आनेवले शापारी अफगजोकी चोती है। बहाके रइेमोंकी पोशाकका भी एज्ञ ऐसा दी होता है। फक, इसना है, कि इनकौ पोशाक कपडा सोटा और उगकों पोशए- कका पतला छोता है। रईस भौर म्ध्यश्रेणोक्के लोग चुगा प्रहतते हैं। सध्यश्रेगोके लोगोके लिये यह कपडा भेडजे अच्छे जब गथवा ऊ दे रये से तम्यार किया जाता है। चुगा ध्यफ- गानोंकी जातोय पोशाक है । बडे वर्ड रईस शालका चुगा पचनते हैं। अफगागीका कमरवन्द १६ से लेकर बीस फुटतक लखा चर कोई चार पुट चौडा होता है। रईम लोग शालदोश्ालोसे कमर कसते हैं, मध्य णी वा तिम्वस्थितिके लोग छती चादरोंसे। कमरवबन्दमें अफ््णातें छरा तथा एक वा ग्नेवापिखा,ले लगी होती हैं। अफगान कभी कमी इरानी पेशकज भी कमरसे , श्ग लेते है। अपने शिरपर पद्ले कुलाइ म्खते हैं और कुनाइकी एिद पः डो र पेटते है। रइसोंकी पग्डो कौमदो ओर अन्य अंणीवालोकी साधारण होतो है। अस्लौर लोग चमडे, ऊन जौर कपडे का, तथा सयैसाधारण ऊिऐे चमक जूता पइ्नते हैं। फगान ऋतिकी उच्चकुलकी रस्खथोया भीतर




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