प्रकृति | Prakriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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आकाशसरज्ल श्छ
से भी लम्पी लद्र उठती है, तालाब फे पानी फे दिला देने से
हाथ दो हाथ की लम्बी लद्दर उठती है, और गभीर जल में सूद
धायु के दिल्लोल से एक इच तथा इससे भी छोटी लददरं उठ
सकती हूँ । परन्तु आकाश की जिन तरडों से हम लोगों के
दिखलाई पडता है थे इतनी छोटी है कि पानी की लहरों से'
उनकी तुलना दी नहीं हो सकती । उनकी लम्बाई मापने के लिए
शूच से फाम नहों चलता | इस फे फरोड हिस्से फरने पडते है।
इन आलेफजनक लहरों की लम्बाई कितनी है यह स्थिर हो
घुका हे। जिस प्रकार गज से कपडा मापने पर गलती द्वोने की
क्रम सम्भावना है इसी प्रकार इस माप में भी अ्रधिक भूल नहीं
है, किन्तु यद उससे भी उत्तम है। ऊपर कहा जा चुका है कि
लहर इतनी छोटी है कि इंच से फाम नहीं चलता। उसके मापने
के लिए इच फे करोड हिस्से फरने पडते है। इनमें जे! लहर
कुल लस्पी हें. उनसे लाख प्रकाश होता है। उससे कुछ और
लम्बा द्वोने से हम लेगों के! देख नहीं पडता। मध्यम लद्दरो में
किसी का ते पौसा, किसी का हरा तथा किसी का नीला प्रकाश
द्ैता है। और छोटा दोने से हम लोगों फे वचेंजनी रह देख
पडता है। उससे और छोटा होने से नहीं दियलाई पडता।
ऑस में आकाश की लहरों की टफ्कर लगने से मस्तिप्फ के
दिल जाने पर हम लोगों के ध्रकाश का अज्ञुभव देता है और ये
रहर अतीय सूचम है;--पह सब आलेकविश्ान की पुरानी चातें
हैं। पाठक के लिए ये नई बाते नहों है। परन््ठु आकाश में दुस-
पाँच द्वाथ लम्बी लहरें प्या, दश पाँच कास फी भी लस्ची लहरें
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