ज्ञान चेतना के चार आयाम | Gyan Chetana Ke Char Aayam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सम्पतराज रांका - Sampataraj Ranka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज्ञान चेतना के चार आयाम 19
हि - सामायिक में नियाणा (निदान) करे तो निदान दोष ।
संशय - फल में सन्देह रख कर सामायिक करे तो सशय दोष |
रोष - सामायिक मे क्रोध, मान, माया,लोभ करे तो रोष दोष |
अविनय - विनयपूर्वक सामायिक न करे तथा सामायिक में देव,
गुरु, धर्म की अविनय-आशातना करे तो अविनय दोष |
-. 10 अबहुमान - बहुमान भक्ति भावपूर्वक सामायिक न कर के बेगारी के
समान सामायिक करे तो अबहुमान दोष |
। (श्री जैन सिद्धात बोल सग्रह भाग तीसरा पृष्ठ 447 बोल न 764 )
वचन के दोष
कुवयणसहसाकारे, सछंद सखेव कलहं च |
विगहा वि हासोडसुद्धं, णिरवेक्खो मुणमुणा दोसा दस |
1. कुवबचचन - सामायिक मे कुबचन (कुत्सित वचन) बोले तो “कुवचन'
दोष।
2. सहसाकार - सामायिक मे बिना विचारे बोले तो “सहसाकार” दोष |
3. स्वच्छन्द - सामायिक मे राग उत्पन्न करने वाले ससार समन्धी गीत
रत्यालादि गाने गावे तो 'स्वच्छर्न्द' दोष |
4. संक्षेप - सामायिक मे पाठ और वाक्य कम कर के बोले तो “सक्षेप”
दोष।
5. कलह - सामायिक मे क्लेशकारी वचन बोले तो “कलह” दोष |
6. विकथा- सामायिक मे स्त्रीकथा, भोजनकथा, देशकथा, राजकथा
इन चार कथाओ मेँ से कोई कथा करे तो “विकथा” दोष |
7. हास्य - सामायिक मे हँसी-मजाक करे तो हास्य दोष |
8. अशुद्ध - सामायिक मेँ पाठो का उच्चारण भली प्रकार से नही करे
अथवा सामायिक मे अव्रती को आओ पधारो कह कर सत्कार-
सम्मान देवे या उसे आने- जाने का कहे तो “अशुद्धाँ दोष |
9. निरपेक्ष - सामायिक मे उपयोग बिना बोले तो “निरपेक्ष” दोष |
10. सुणसुण - सामायिक मे स्पष्ट उच्चारण न कर के गुण-गुण बोले
(गुनगुनावे) तो “मुण-मुण' दोष |
(श्री जैन सिद्धात बोल सग्रह भाग तीसरा पृष्ठ 448 बोल 765 )
काया के 12 दोष
कुआसण चलासण चलदिद्ी ,
सावज्जकिरिया लंबणा-कुंचण पसारणं |
|
५७0 (60 1 0)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...