कुलोचित धर्म शिक्षा | Kulochit Dharam Shikhsha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
422
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फुलाचित बरमेशिज्ञा का उ्चीपन्न ।
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हिज्ञातनियों को साय प्रान' सोज़न करने का फऋथन
चानप्रस्थ फो मद्य, माल, फवक, भृस्तूण, शिप्र
श्लेप्पातक चजनेका ऊन « ««
भोजन के लिये कुल गोत्र प्रो कहने का निषेध
आत्माही फे लिये पाक्त करने का निषेध. -
घेदपाटी को हच्य कव्य देने फा कथन
भीष्मपितामष्ट ज्ञी फो गया में ज्ञाकर पिएडटान
फरने फा कथन... ५
पिठ्गणों की उत्पत्ति फा कथन <.«
तीसवां अध्याय ।
कलियुग का हाल घणन ...
फलियुग के राजाओं का फथन
विद्या च धमे का फथन
अनध्यायों का कथन ब्ब८
फिसप्रकार के शिष्य पढ़ाने योग्य हैँ तिन फा कथन
बिना पूछे वेद न फहै तिसका कथन
निपेध के अतिक्रम में दोप . ...
डुएशिप्पय को विद्या न पढ़ावे...
माता, पिता ओर आचाये फी शुश्रपा करने में
तपका फल मिलता है ... .. « ...
माता; पिता, आचाये के अनादर और निन््दासे
सब कमे निप्फल है तिसका कथन ...
माता आदि की शुक्षपा की प्रधानता का कथन -
डुगोमदहिमा ओर श्कपाद घश्त का विधान ««
इकतीसर्चा अध्याय ।
करूप्णाजुन सवाद काकथन . ..- हु
फोशरया प्रति सरतजी को शपथस्राने का कथन
धशिष्ठटज़ी का भरतजी फो उपदेश देने का कथन
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