पालि - महाव्याकरण | Pali - Mahavyakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
658
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जनन्क पन्द्रह है
(पूर्व-सवर्ण-दीर्घ ), श्रा, श्रात् शे, या, डा, डच्चा, या आल् [ शे--ए। या, याच्,
ड्याजनया । डा, आल, झा, ( आत् )55आरा ] इन प्रत्ययों का आदेश होता है ।
नाम-विभक्तियोंमें व्यत्यय होने के उदाहरण---
ऋजव: सन्तु पन््था: ( पन्थान: )। परमे व्योमन् ( व्योमनि )। लोहिते
चमन् (चरंरि )। आदर चर्मंन् (चमंणि )। धीती ( धीत्या ), मती
(मत्या )। या सुरथा रथी-तमा दिविस्पृशा अश्विना (यो सुरथो
दिविस्प्शों अश्विनों)। नताद त्राह्मणम (नतंत्राह्मणम् )। यादेव
(यमेव) विद्य तात्त्वा ( तंत्वा )। युष्मे | ( युष्मासु )। असम ( अस्मभ्यम् )
इन्द्राबहस्पती । उरुया (उरुणा), शृणशुया (ध्रृष्णुना) नाभा
(नाभो ) प्रथिव्या:। साधुया (साघु)। वसन्ता यजेत (बसन्ते
यजेत )।
उर्विया ( उरुणा ), दार्विया ( दारुणा ), सुक्षेत्रिया ( सुक्षेत्रिणा-इति )।
सुगात्रिया (सुगात्रेण )। द॒तिं नशुष्क॑ सरसी शयानम (सप्तमी एक
वचन के स्थान में ईकार का आदेश ) ।
प्र बाहवा ( वाहुना )। स्वप्नया ( स्वप्नेन )। नावया ( नावा )।
( महाभाष्य--सिद्धान्त-कोमुदी )
काल तथा लकार को स्वच्छन्दता
बेदिक भाषा में काल तथा लकार के प्रयोग में बड़ा अनियम था। एक-
एक क़्िया-पद के लिए कितने अधिक रूप व्यवहत होते थे, उसे देख कर माथा
चकरा जाता है । जेसे:---
'इया, डियाचू, (इया, डियाच--इया), ईकार भी श्रादेश होते हें।
तृतोया एक वचन में श्रयाचू, श्रयार (--श्रया) भी आदेश होते हें।
(महाभाष्य )
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