नम्मया सुन्दरी कहा | Nammaya Sundari Kaha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[१५९-१६६ ] _ अ्म्मयासुंद्रीकहा । १५
भषियाणंतरमेव य पमोयभरनिब्भरेहिं तेहिं पउणीकयाई जाणवत्ताई, गह्ठि-
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चालियाओ बहुविहाओ [१६41 पयईओ | समुच्छाहिया गेघवनडइकारया
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पसत्थवासरे कृयक्रोडयमंगला परिवारपरिवारिया पवडूंतपमोयउद्धुरेहिं बंध-5
वेहिं सपुत्तकलत्तेहिं मेचेहिं सहिया चलिया दो वि सहदेव-वीरदासोा। कह १
गंमीरतरघोसपडिसदपूरियनहँगणा, वहलघूलीपडलघूसरियपेच्छयजणा;
* बस्धतसंखकाहला, बणे वणे पठायमाणपुलिंदनाहला;
ग्राम गामे पोएजमाणा गामिएहिं, गोरविजमाणा गामसामिएहिं;
“* कुणमाणा महब्शुयभूयाओ प्याओ जिणिंदा्ं गामनगरेसु, अद्डया(१)-10
विलेबिएरडिं पयाणएट्टिं सुत्थीकयसमत्थसत्थिया सुहंसुहेण संपत्यिया । पत्ता
कम्रेण नाणावणराइरमणीय रेवासनैभूमिभागग । परितुड्डी य सुंदरी दहुण बहले-
तरुंगरेगेतकंचकारंडवैहेंससारसाइविहंगसंग्॑पत्तरम्मयं महा[नई १] नम्मय ।
आवासिओ य सो कडयजणो हरिसनिब्भरो तत्य ।
सहदेवसमाएसा भूमाएं सम्गरसणीए ॥ १५९1७
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मज़णकीलाहेउं रेबातीरं गया सच्चे ॥ १६०
पेच्छ॑ति तर्य सरिय महल्लऊछोलमीसणायारं ।
फत्थइ अन्नत्थ तरंगभंगुरं सुप्पस्त च ॥ १६१
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कत्थइ मजंतमहागयंदमयसुरहिजलवाह ॥ श्द्र
विज्ञगिरिपायपायवपगलियघणकुसुमगोच्छचिंचइयं ।
अवियष्दक्ेयणाओ शिरेद्य ते दुह६ दुं ॥ ” करे
हरिसेण त॑ पविट्टा उब्बुडनिब्बुडणेण कयहासा |
विलसंति ते सहेलं सम्मं महिलाहिं परित॒द्ठा ॥ १६४४
सिंगियमजलेण फेई पहणंति प्रोप्परं पहामसिल्ला [*
अन्ने हरियंदगपंडियाहिं हम्मंति महिलाएं ॥ * शृदृप
परिकीलिऊण सुदरं संपत्तपारिस्समा समत्तिन्ना |
_ वो मह॒दृद्यओ करिति जिणदबिंवपूयाई ॥ श्द्दृ
अब ननननन+++++०५+++ पलक मनन कलम+नकिल- 77 न् पेरिस, लत!
7 4 उद्दरेहिं. २ दसों. ३ 'सवन्नर, ४ पढितुद्दा, ५ छटक ,. ६ डारज्सव*,
७ मार, ८ कीह. ६
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