मुधोल राजवंश का प्राचीन इतिहास | Mudhol Rajavansh Ka Prachin Itihas

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Mudhol Rajavansh Ka Prachin Itihas by श्री कृष्णदास जी - Shree Krishndas Jee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुधोल राजवेश का प्राचीन इतिहास । (५७) द्वारा भिन्न २ प्रान्तोंके जीते जानेको स्पप्टतया साचत करती हैँ । आगे हमदेखेंगे कि घोरपडों नें आदिलशाह की किस प्रकार सहायता की। हम देख चुके हँ के यूसुफ आदिलशाह- ने खलोजी को बुलाया था और उनसे मित्रता करला थी | गोआके धावे से लौट कर इ० सन्‌ १५१० (है० सन्‌ ९१६) में यूछुफ आदिल शाह मर गया । उसका नाबालिग लड़का इस्माइल आदिलशाह गद्दीपर बेठा और कमालखोां ने राज्य के मामलों को देखना शरू किया । इसके अनन्तर वीजापुर और अहमदनगर के कुछेक कुटिल नीतिमान पुरुषों ने राज्यों को अपने वदशमें करने के लिये उस समय के बादशाहों को उनके सिहासनों से हटानका प्रमत्न भारम्भ किया । अहमद- नगर में अमीर बरीद अपने स्वामी निजाम- शाह की कद करते मे सफल हुआ । यहां बीजापुर में कमालखाँ ने जवान इस्माइल आर उसको माँ को कंद कर एक बड़ी फाज के साथ शोलापुर की ओर प्रस्थान किया । अहमदनगर से समयोपयोगी सहायता न आ सकने के कारण शोलापुर का किला कमालखां के हाथ लग गया ओर कमालखां विजमसी होकर बीजापुर वापिस आया । उसने युवा इस्माइल के नाम से एक शानदार दर- बार किया परन्तु साथ ही बादशाह को मरवाने या राज्यच्युत करनेका प्रयत्त करता न




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