विज्ञान जगत | Vigyan Jagat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय पांच गर्मी था ऊष्मा की व्याख्या हम सब जानते हैं कि श्राग से ऊप्मा या गर्मी पैदा होती है । जब भाप श्राग के सामने खड़े होते हैं तव्‌ इसे 'प्रनुभव कर सकते हैं, भौर यदि पानी की पत्तीली आग प२ रखे दें, तो थोड़ी देर में पानी गर्म होकर खौलने लगेगा। यदि आप पतीली भाग से न हटाएं, तो सारा पानी खोलकर उड़ जाएगा । ऐसे परिवर्तत करनेवालो यह विचित्र चीज़, ऊप्मा (होट) वया वस्तु है ? जब हम इसकी व्याख्या को कोशिश करते हैं. तब हमारे सामने एक नया विचार भरा जाता है, जिससे शामद ध्षण-सर को भाव उलभन में पड़ जाएगे : ऊप्मा परमाणुशों | और अणुओं के खाली स्थान में इधर-उधर चलने की चाल खढ़ने से भ्रधिक भौर कुछ नहीं है। श्राप सोचेंगे कि लकड़ी या लोहे “का टुकड़ा या पानी जैसा द्वव श्रणुओं के ठउसाव से काफी ठोस ' होता है और उसमें अणुओं के इध२-उधर चलने के लिए श्रधिक “जगह नहीं होती, पर विचित्र बात देखिए कि अणुझों के बीच में २४




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