युग - दीप | Yug - Deep
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
598 KB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)युग-दीप
सत्रह
में अकेला और चारों ओर पूलापन /
सो रहा है अपेरे से
लिपट.._ चंचल मन |
साँतत की ले तूलिका आकाश के रंग बोर ,
सीचता हूँ स्वत्म की तस्त्रीर चारों और ,
पर न भर पात्ती मुखर स्वर, ध्यों का इतिहास ,
पर न लिख पाती हृदय में तुम्हारा मधुमास /
जागरण बन पी रहा हैं
कौन यह यौवन १
में अकेला और चारों ओर सूनापन /
सो रहा संसार भाँसों में चुराए नौंद,
इधर जल फर बुक चुकी है एक जी उम्मीद |
प्यास भी बुकती न, जलती रास में से आय कर
देढ़ते है सम मुझको, हर निशा में जाग ।
झप्रह
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