युग - दीप | Yug - Deep

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Yug - Deep by उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उदयशंकर भट्ट - Udayshankar Bhatt

Add Infomation AboutUdayshankar Bhatt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
युग-दीप सत्रह में अकेला और चारों ओर पूलापन / सो रहा है अपेरे से लिपट.._ चंचल मन | साँतत की ले तूलिका आकाश के रंग बोर , सीचता हूँ स्वत्म की तस्त्रीर चारों और , पर न भर पात्ती मुखर स्वर, ध्यों का इतिहास , पर न लिख पाती हृदय में तुम्हारा मधुमास / जागरण बन पी रहा हैं कौन यह यौवन १ में अकेला और चारों ओर सूनापन / सो रहा संसार भाँसों में चुराए नौंद, इधर जल फर बुक चुकी है एक जी उम्मीद | प्यास भी बुकती न, जलती रास में से आय कर देढ़ते है सम मुझको, हर निशा में जाग । झप्रह




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now