एक और अभिमन्यु | Ek Aur Abhimanyu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अमित : हा
अरी सविता तुम ! आओ ! कब आई ? बैंठो !
सविता : दर रा
(विस्मित हास्य के साथ) नहीं, आप गप्पें लगा लीजिए, तब तक
भाताजो से भिल लेतो हूँ। है कक
[युवतों का प्रस्थान १ सोतर जातो हुई सविता को अमित के बे
मित्र कनियों से देखते हैं ओर कुटिल हास्प के साथ एफ दूसरे को
आँख मारते हैं। अमित उनकी इस हरफत से झेंप-सा जाता है ।]
हरवंश :
(अमित से) बादशाहो की गल है ?
जहजात :
क्यों भाई अमित बात कहाँ तक बढ़ी ?
हरबश :
स्टोरी कक््लाईमैक्स तक पहुँची या नही ?
अमित :
अरे तुम दोनों यो बहफने क्यो लगे र
शहजातत 1
हम बहवते है ?
'रवंश
शहजात ५
अच्छा अमित ! अपनी वह कविता सुनाओ ॥६
[अमित जिज्ञासा को मुद्रा में ।]
हम बहाते है ? लो भाई शहजात ,टूसरो (बीत सुनी 1
कि
हरवश :
अरे वही पैर स्वयं ही बढ जायेंगे
शहजात :
राह जरा मिल जाने दो ।
एक और अभिमन्यु/२५
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