रवीन्द्र बाल साहित्य | Ravindra Balsahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दुकौड़ीदत्त
'किरानी
बुकौड़ी दत्त
रुपये लेकर झाया था । उन. रुपयों के बिना
आज दिन भर का काम कंसे चलेगा ?
'ओह 17 बुलाशो ! उस आदमी को जल्दी
बुलाओ !
(किरानी दौड़कर बाहर जाता है और कुछ
क्षण के बाद पुनः आता है)
वह आ्रादमी तो' चला गया । बहुत देखा पर
कहीं भी दिखाई नहीं दिया ।
(सिर पर हाथ रखता हुआ) ऐसा लगता है
भयंकर चक्कर में 'फंस गये हैं । न जानि-झआज
कसी मुसीबत है ?
: (तानपुरा, हाथ में: लिए एंक श्रादमी का
भीतर श्राना) फडए
दुकौड़ीदर्त “क््या'बात है
'तानपुरावाल। हुजूर 1: श्राप जैसा. रसिक कोई दूसरा नहीं
होगा । संगीत के विकास के लिए आपने क्या
: - नहीं किया । ब्रापको गीत सुनाऊंगा ।
(तानपुरा: की - भांकार-के साथ गाता है) -
जय जय. दुकोड़ीदत्त,
जग मैं निरुपम महत्व ५०
जय जय दुकोड़ीदत .।
स्याति.का नाटक £ 25
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