चारो धाम की झाँकी | Charo Dham Ki Jhanki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वेश्वर दयाल पाठक - Vishveshvar Dayal Pathak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जगन्नाथपण्ड श्र
| द्वारमे होफर यात्री अवेश फरते हैं. और दसरेमें होफर बाहर
निकलते हैं ।
कार्तिक शुक्र १५ के दिन यहा इतनी भीड़ होती हे कि
| आगरा जिछके स्वयसेपक, वटेश्यरकी सेवासमिति एवं डि० बो०
आगराफ़ा प्रबंध, सरकारां सिपाहियोंकी निगरानी और अम्यान्य
स्वयसेतफ्रोंकी सेवा होते हुए भी ओयटेश्यरनाथपर यम्ुुनाजल
एन फ्ित्सपत्रादि चढाना कठिन हो जाता है । भगयानपर इतने
पुष्प चढाये जाते हैं क्रि वे उनमें स्वेया ठिप जाते हैं 1
जटेश्यरनाथकरे मीदिस्के चार्रा ओर बठमे और मदिरके भीतर-
बाहर यहूतसे धण्टे ल्टकाये हुए हैं । कहते हैं, वटेसवसनाथरी यात्रा
करनेपर जिन यात्रियोंकी कोई कामना पूरी हो जाती है वे ही
दूसरे साछ॒ आकर भगयानको धण्टा समर्पण करते हैं ।
यठेश्बरनाथमादरकी वार्षिफ आय ग्राय सात हजार
रपया है ! यहा[ श्रायणके सोमयारोंकी मेठा छगते हैं. जिनमें हजारों
मलुष्याफी भीड़ हो जाती हे । उन दिनोंमे भगयानको विल्यपन्न
समर्पण करनेऊे छिये यहा बहत-से शिय-भक्त बाहरसे आकर
एफ वक्त भोजन करते हुए पूरे श्रायण मास भी निवास करते हैं ।
इसके अतिरिक्त गियरात्रि, गमा-दशहरा आदि मुए्य-मुएय पेपर
भी आस-पासकी जनता बडे भक्ति मायसे बठेश्वर आती है। इस
कारण उन तिथियोंपर वटेझपरमें कई मेले लगते हैं | मुग्यत मार
शीर्ष कृष्ण २ को जो श्रीग्टेश्वरनाथको झाँकी होती हे यह तो
User Reviews
No Reviews | Add Yours...