चारो धाम की झाँकी | Charo Dham Ki Jhanki

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Charo Dham Ki Jhanki by विश्वेश्वर दयाल पाठक - Vishveshvar Dayal Pathak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जगन्नाथपण्ड श्र | द्वारमे होफर यात्री अवेश फरते हैं. और दसरेमें होफर बाहर निकलते हैं । कार्तिक शुक्र १५ के दिन यहा इतनी भीड़ होती हे कि | आगरा जिछके स्वयसेपक, वटेश्यरकी सेवासमिति एवं डि० बो० आगराफ़ा प्रबंध, सरकारां सिपाहियोंकी निगरानी और अम्यान्य स्वयसेतफ्रोंकी सेवा होते हुए भी ओयटेश्यरनाथपर यम्ुुनाजल एन फ्ित्सपत्रादि चढाना कठिन हो जाता है । भगयानपर इतने पुष्प चढाये जाते हैं क्रि वे उनमें स्वेया ठिप जाते हैं 1 जटेश्यरनाथकरे मीदिस्के चार्रा ओर बठमे और मदिरके भीतर- बाहर यहूतसे धण्टे ल्टकाये हुए हैं । कहते हैं, वटेसवसनाथरी यात्रा करनेपर जिन यात्रियोंकी कोई कामना पूरी हो जाती है वे ही दूसरे साछ॒ आकर भगयानको धण्टा समर्पण करते हैं । यठेश्बरनाथमादरकी वार्षिफ आय ग्राय सात हजार रपया है ! यहा[ श्रायणके सोमयारोंकी मेठा छगते हैं. जिनमें हजारों मलुष्याफी भीड़ हो जाती हे । उन दिनोंमे भगयानको विल्यपन्न समर्पण करनेऊे छिये यहा बहत-से शिय-भक्त बाहरसे आकर एफ वक्त भोजन करते हुए पूरे श्रायण मास भी निवास करते हैं । इसके अतिरिक्त गियरात्रि, गमा-दशहरा आदि मुए्य-मुएय पेपर भी आस-पासकी जनता बडे भक्ति मायसे बठेश्वर आती है। इस कारण उन तिथियोंपर वटेझपरमें कई मेले लगते हैं | मुग्यत मार शीर्ष कृष्ण २ को जो श्रीग्टेश्वरनाथको झाँकी होती हे यह तो




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