अनुवाद्क कृत | Anuvadak Kruta

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Anuvadak Kruta by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्‌्‌ या ज ने रहता हो गुद्ध परमात्मा के ध्यान में तत्पर, आत्मीनष्ठावाला भे कगे के उच्छद करने में तत्पर पुरुष संन्यास द्वारा शरीर को बाग कर- ता, उसी को परमहंस जानना” |. तस्मादनथोरुमयों! परमहंसत्व॑ सिडम | स- मान5प परमईसस्वे सिद्ध 1वेरुद्धर्माक्रान्त- । त्वादवान्तरभेदोष्प्पभ्युपगन्तव्ध:! । विरुद्ध धर्मेत्व॑ जा55रुण्युपनिषत्परमहंसो प निष- दा; पर्योलोचनायाप्रवगम्पते । . कप्ताण्यश्ेषतों विखजानीति ” । “ शिखां यज्ञोप- पति इत्यादिना सर्वत्यागमासिधाय दृ भाच्छादन कापीन पारग्रहत ?” झ्ति दृण्डादिस्वीकार विधाय असंध्यादों स्‍्नानमा- चरलू । समाधावात्सन्याचरेत्सवैष्ु 1यतू। उपनिषद्मावत्तथेल”? कर हाते पेदनहतूना भ्रमधर्माननुछेयतया विधत्ते। कह इन दोनों आश्रपों




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