नामामाला | Namamala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शम्भुनाथ त्रिपाठी - Shambhunath Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाममाछा छ
सथर स्याव् बनेचरा ॥१३॥
प्वरशम्देन डुक्ते शबरस्प नव नामानि | विफ्निचरः गहनचर कद्जरः झ्रष्यचर कान
नसचर अनअर' कान्तारझर अस्दीअर., दुर्यशअर. )
पुलिन्द छवरो दस्युर्निपादों व्याधरुम्धकौ |
घाजुष्की>थ फिरातअ सो#ण्यानीषरः स्मृवः ॥ १ ४॥
पोल्ञति क्रमति मदत्त्य याति गम्शुति पुक्चिम्दः | पुशीरदुम | शबति” निर्द॑बर्त गध्दतीति
शवरः ! ताशम्पः | शवति झरष्प॑ राबर' | इस्पति अन्यमुपस्ियोति दस्युः ! छनिमनिदठिस्बीयु * ।7
एम्पौ गु प्रभगौ मबति । निषीदति पापकर्ात्र निषाद! | निषद्रल | बा? स्वलादिदुनीमुबो णः | “स्यप
ताइनै” व्यू विष्यतीति ब्याक्ा । 'दिश्टि शिशिशिशिष्िदवतिविष्यतीयूश॒यातां चर। फएवॉँ शो भव॒ति ।
सुम्दते एप्क्ते माँते छुप्घः । स्वार्ये क। धुष्पकः । बगुषा सह बर्तते इति धालुप्का। किरति शरान्र
फिराता | प्ररस्वस्य श्रप्यानी (वश) अरठीति अरब्बानीचर *] इस्ट्रबर्फभवरशर्भस्तमृड हिमयमारप्मपव-
भबनमातुजाचार््याणामानुझू (एच | प्ररष्दानीति ।
पार्वारि फ पयोअम्मोअम्यु पायोडर्ण सझ्िछ जछम्।
सर वर्न कु नीर तोय जीवनमम्विपस् ॥ १५॥
अरष्ादश पानीये | बारगति दृपामिद्म् वारि, इझौठि बा यारि। पूषल्विपिराशिवृदनिन
मेरिम_॥” एम्ब इथ_प्स्मयौ भषति। जअष़ार इश्वदुभागाे । राम्ठम धार्। क्षीक्जीबे | काम्बते इच्चते
कम; कायतीति (गा)! १ *काबतेडतिडमौ”” फ्बगौ भबतः | पौयते पयते बा पया। “पीझ पाने 7
“थे १ बाद्म्नोष्सुत। श्रमति गघ्छुति स्वाइुल्ल घान्तम भ्रग्मस् ।/झ्रम गतौ। प्मे” म्मोभन्तरव। झकार
ठच्म्बारणा्! | 'अत्रि शब्दे” “प्रम्बु”इति टौतौ बा “सेबागाम |” झम्म्बते तृष्णातीरित्यस्थु। “ २झ्मम्बि-
कम्मिम्पामुः) ग्राम्यामुः प्रत्वनो भगति। पीबरते पाति भा पाथः। “+४इमिकातिकुपिपातृबल्िरिचिसि-
जिगुम्बल्पक ।” एम्बस्थक् प्रत्वगो भवति | को बयूबदू भावाय। | ऋशणशोत्पणेः । गम्पते स्नानपानायें।
सास्ठम अर्थेस् | छरति गन्द॒ति सक्षिक्तम्। उदादौ“पच्र सेचभे) “1 प्चास्बाहः प्रःछ 7! “हचछे ०
इति सलिकूम | 'संभेशिक्रच चत्त लुक ! । सब्चेतित : प्रध्ययो मषति अस्व तुरू च। बडधि नीच॑
गन्खुठति सकूम् | छईं 'ब । श्रशाति हिनस्ति दृष्णाम इति शारस् । बम्पते फ्ेब्दले एनल् बलम्।णोशते
कुशम् । प्राशिपेष्टा यूद्धि नपतीषि शीरम्। मीबते हिनस्ति दृएए मीरम च। दुरति तपाम तोपम्। 5 ”
सीद झ्रावरशार्यों बा। बीब्गतेटजैन शीपनम् | बीकनीबम् अ।| झ्राप्जुबन्ति शमुद्रमित्थापः । झ्याप्नोते' क्विप्
फ़कयो भर्वात | हस्बशन | झप् द्वियोँ बड़पंः। क्दस्िपेषत्कस ! कलौकतकस । ऋपशम्शो हुककताप्ता /
१ रष गहठो म्थाहिः | बाहुखकादरः। २. का उ ४ीह] १ का रू डाश४५।
४५का स ४ारा५८ | ५. बगुः ,ऋरशमस्पेति स्युत्यतिपृंछा । प्ररण्मिरस। ६ ढकिरतीति
फिए3 । कु बिझ्रेप | कपत्यन | भ्ततीस्पत । अत छातप्दगमने | पत्रादत् | किरचासाक्तरबेति किरात
इठि पूर्श॑म्पुल्पत्तिः । ७, महृदरण्पमरभ्यानी ठत्र॒चरतीति विप्रह्दो मुछः | ८ इद पाझिनीब ४1 १1४९ अत
समेत्पधिढ्' पाठ | ९.का ठ ४५ | १०का ठ ५४ ।१९ढा उठ ४५६ ( १०का ठ ४६६।॥
अमति श्बादुत्वे गछतीति शेषा । रामाभमम्तु झमिशम्दे इत्यतोब्युस् प्स्थयमाइ | १३ का ठ ५४५ ।
१४ का डे २१ । १५ प्रर्यते हत्वस्व प्यांगी गम्दते । शब्दों नठप्त्पवान्तः | ऋपतौ।
१६ का स् शटार४डै। १७ उछति गप्छुति निम्नभिति बिग्रह छल गतौ इस्बत्माद् शहिफक््पनि
इत्मादि (४४ट वजेश लाधितोपन्यज् | १८ छा ठ ६)६९।
१०
नए
0
User Reviews
No Reviews | Add Yours...