निबंध माला | Nibandh Mala
श्रेणी : निबंध / Essay, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25.3 MB
कुल पष्ठ :
223
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निवन्ध-लेखन &
वाक्य व्याकरण के '्नुकूल होने चाहिएँ; विराम चिह्नों का खूब. '
ध्यान रखना चाहिए । . जहाँ तक दो वाक्य छोटे हों ।
वाक्यों को अधिक लंचा या उलभा हुआ बना देना
च् ड् कार अनइननण' सर गाया पा कृनग
वाक्य-रचना
ठीक नहीं है।
थोड़े बहुत अलंकार भाषा को चमत्कारपूर्ण बना देते हैं, किन्वु ..
अलंकारों की भरमार अच्छी नहीं । जो झलंकार विचार के प्रभाव .
- में बा जावें उनको रक््खा जावे, किन्तु यत्न के साथ.
त्रलंकार गा स्् इस हे :
ं ब्मलंकारों को लाना भावों को क्लिप्ट बना देता है। '
जो अलंकार ठीक न निभाया जा सके उसे न रखना चाहिए ।
जहाँ तक हो भाषा मुद्दावरेदार हो। रचना में कहीं-कहीं '
लोकोक्तियों के प्रयोग से रचना का सौंदर्य वढ़ जाता दै& । कहीं-कहीं . ं
प्रसिद्ध कवियों .की प्रसिद्ध सूक्तियाँ भी दे देना अच्छा |
होता है । इसके लिए सूक्ति-सुधा, कविता-कौमुदी आदि. |
थों का पढ़ना उपयोगी होगा |
हास्य रचना में जान डाल देता है । उसके कारण जी ऊबने नहीं:
पाता । हास्य के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए
दस कि चहद मयीदा के बाहर न दो जावे और न वहद किसी
का जी दुखाव ।
संकच्तेप में भापा शुद्ध ओर मुद्दावरदार होनी चाहिए, उसमें सरलता
ोज और प्रवाह का होना चाव्छनीय है । जहाँ तक हो सके शेथिल्य नः
ब्झाने देना चाहिए और पुनरुक्ति आदि दोषों से बचना चाहिए ।
मुहावरे
धलोकोक्तियों श्रौर मुद्दावरों के ठीक-ठीक ज्ञान के लिए डा ० बहादुरचंद
कृत “लोकोक्तियाँ और मुद्दावरे” नामक पुस्तक देखिए. । - -
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