निबंध माला | Nibandh Mala

Nibandh Mala by गुलाबराय - Gulabrai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवन्ध-लेखन & वाक्य व्याकरण के '्नुकूल होने चाहिएँ; विराम चिह्नों का खूब. ' ध्यान रखना चाहिए । . जहाँ तक दो वाक्य छोटे हों । वाक्यों को अधिक लंचा या उलभा हुआ बना देना च् ड् कार अनइननण' सर गाया पा कृनग वाक्य-रचना ठीक नहीं है। थोड़े बहुत अलंकार भाषा को चमत्कारपूर्ण बना देते हैं, किन्वु .. अलंकारों की भरमार अच्छी नहीं । जो झलंकार विचार के प्रभाव . - में बा जावें उनको रक्‍्खा जावे, किन्तु यत्न के साथ. त्रलंकार गा स्् इस हे : ं ब्मलंकारों को लाना भावों को क्लिप्ट बना देता है। ' जो अलंकार ठीक न निभाया जा सके उसे न रखना चाहिए । जहाँ तक हो भाषा मुद्दावरेदार हो। रचना में कहीं-कहीं ' लोकोक्तियों के प्रयोग से रचना का सौंदर्य वढ़ जाता दै& । कहीं-कहीं . ं प्रसिद्ध कवियों .की प्रसिद्ध सूक्तियाँ भी दे देना अच्छा | होता है । इसके लिए सूक्ति-सुधा, कविता-कौमुदी आदि. | थों का पढ़ना उपयोगी होगा | हास्य रचना में जान डाल देता है । उसके कारण जी ऊबने नहीं: पाता । हास्य के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए दस कि चहद मयीदा के बाहर न दो जावे और न वहद किसी का जी दुखाव । संकच्तेप में भापा शुद्ध ओर मुद्दावरदार होनी चाहिए, उसमें सरलता ोज और प्रवाह का होना चाव्छनीय है । जहाँ तक हो सके शेथिल्य नः ब्झाने देना चाहिए और पुनरुक्ति आदि दोषों से बचना चाहिए । मुहावरे धलोकोक्तियों श्रौर मुद्दावरों के ठीक-ठीक ज्ञान के लिए डा ० बहादुरचंद कृत “लोकोक्तियाँ और मुद्दावरे” नामक पुस्तक देखिए. । - -




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