अथ योगसमाचार संग्रह | AthYogsamachar Sangrah

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AthYogsamachar Sangrah by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २४२ ) जैसे कदाईमें चीज पक रही हैं ओर करीब तयार होचुक्ी है जिसको लुगदीकी सूरत बनना हैं फिर अ गर इस वक्त उसके अन्दर पाती वगेरह डालाजाबे तो लुगदी वननेपें दें? लगेगी सोही हाजमेका हाल जानना बरखिलाफ इसके अगर उपमें खाना पकुचुका बजके उस पेंसे बाहर निकाल लिया गयाहोती पानी डालनंस क- दाह धुल कर साफ होजायगी या उसमें कुछ पदाथ चपटा हुआ रहभी गया होगातो वहमी जुदा होजायगा यह[ हाल मेदेका है ! जो आदमी मेदेमे गिज्ञा हज़म होने पछि पी नी पीते हें वह हमेशा तन्दुरस्‍्त रहते है आर पचानकी ता कत उनके प्ेदेमें सुवाफिक दुस्तूर बनी रहती है आर जा आदमी मेदेम खाना पर चुकनेके पीछे बाय सवस्‍्म ज॑ पीते हैं तो वह बहुतही जल्द खूनमें पचता और उस की विलकुल साफ बना देता है । खूनकी मासूली हरार्त वा ला ओर उसके खराब पदार्थ बहाकर छरदीं और पस्तीनोके र्ते निकालदेता है। सवाल--शैनसी हालतें हें जिनमें आदमीकी भोजन श्र की जरुरत कम होती हैं या [बिलकइल नहां हांती। जवाब--तन्हुस्स्त आदमीको जो दुनियादारीके मामृ- ली काम करताहै और उसके पेशाव पाखाना रोजपरा मास ली तौरस खारिज होता रहता है मामूली गिज्ञा दरकार है लेकिन जब सब प्रकारके या किती एक प्रकारके मलके




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