प्रवचनसार | Shri Parvchansar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : प्रवचनसार - Shri Parvchansar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री कुन्द्कुंदाचार्य - Shri Kundkundachary

Add Infomation AboutShri Kundkundachary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जैन शास्त्रसाला --ज्ञानतत्त्व-प्रज्ञापत-- श्र अथ परिणाम वस्तुस्वभावत्वेन निश्चिनोति - णत्थि विणा परिणाम अत्थो अत्थं विणेह परिणामों । दव्वगुणपज्जयत्थी.. अत्थो. अत्वथित्तणिव्वत्तो ॥ १०॥ नास्ति विना परिणाससर्थोष्थं विनेह परिणासः । द्रव्यगुणपर्ययस्थो5र्थो$स्तित्वनितृ त्त: ॥1 १० ॥। न खलु परिणाममन्तरेण वस्तु सत्तामालम्बते । वस्तुनों द्रव्यादिभिः परिणामात्‌ पृथगुपलम्भाभावान्निःपरिणामस्य खरश्तुड्भकल्पत्वाद दृश्यमानयोरसादिपरिणासविरोधाच्च । परिणामिनो: परस्परं कथंचिदभेदं दर्शयति -णत्थि घिणा परिणाम अत्यथो मुक्तजीवे तावत्कथ्यते सिद्धपर्यायरूपशुद्धपरिणामं विना शुद्धजीवपदार्थो नास्ति। कस्मात्‌ | संनालक्षणप्रयोजनादिनेदेउपि प्रदेशभेदाभावात्‌ । अत्थं बिणेह परिणामों मृक्तात्मपदार्थ विना इह जगति जुद्धात्मोपलम्भलक्षण: रंगमें परिणमित होता है तब स्वयं ही शद्ध होता है, उस्रीप्रकार आत्मा भी जब निश्चय रत्नत्रयात्मक शुद्धोपयोगमें परिणमित होता है तब स्वयं ही शद्ध होता है । सिद्धान्त ग्रन्थोंमें जीवके असंख्य परिणामोंकोी मध्यम वर्णनसे चौदह गणस्थान- रूप कहा गया है। उन गुणस्थानोंको संक्षेपसे उपयोग रूप वर्णन करते हुए, प्रथम तीन गुणस्थानोंमें तारतम्य पूर्वक (घटता हुआ) अजशुभोपयोग, चौथेसे छटठे गणस्थान तक तारतम्य पूर्वक (वढ़ता हुआ) शुभोपयोग, सातवेंसे बारहवें गणस्थान तक तारतम्य पूर्वक शुद्धोपयोग और अन्तिम दो गुणस्थानोंमें शुद्घोपयोगका फल कहा गया है, - ऐसा वर्णन कथंचित्‌ हो सकता है 11 ६ ॥। अब परिणाम वस्तुका स्वभाव है यह निश्चय करते गाधा १० अन्वयार्थ :- [इह | इस लोकमें (परिणाम द्विना| परिणामके बिना [अर्थ: नास्ति| पदाथ नहीं है, [अर्थ बिना | पदार्भक्रे बिना |परियामः] परिणाम नहीं है; | अर्थ: | पदार्थ [ द्रब्यगुणपर्ययस्थः | प्रब्य-युण-पर्यायमें राफदेयाला और [ अस्तित्बनिय त्तः | (उन्पादव्ययपथ्रीव्ययय) अस्तित्वस बना इजा टोका :- परिणामके बिना वस्त झस्तित्य घारण नी शारती, सयोकि सम्न प्रय्यादिवेः हारा (द्रस्य-्छेत्र-बाल-भावसे ) परिणामसे लिनक्न सगुनवर्भ (देशनर्मे) सही #- अक ++ कु फ कै ० आज 4 $्‌ य् क्र +#, 1 आती, बयोंविः (१) परिणाम रहित बस्न गधेदे सींगते समान है, (२) तथा उसणा, /3117 | परिणाम दघिण न पदार्थ, मे न पदार्थ दिण परिषार छे शुण-एण्प-प् दय रिथित ने अस्तित्द *परज्ू पएदाण एूं 1 5 5 11




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now