बारह कहानियां | Barah Kahaniyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सम्सापव गा मुझ अज ह। यही वजह है कि उन्हें कमोदेश पहचान सका 1 लेकिन बाकी सब सिलकुल नये थे माश्वर्य में डालने वाले अविश्वसनीय । काहि बादू मे लगभग बीस प्रकार के मासाहारी के रा है। उनमें से कुछ हे हैं जो दुनिया के किसी संप्र्वालय में नही मिलते हैं । सा दे दाद सबसे सुन्दर पोधा--सनदूयू--है उसके छोटे-छोटे पत्तों के शारों ओर पतले और लम्बे रोओं के अग्रभाग मे पानी की बूंदें कलमला रही हैं । पे कि घागे के छोर मे इलायची के आकार के जैसा मांस का एक टुकड़ा लटकाकर कांतिवादू उस घागे को धीरे-धीरे पत्ते के निकट ले गए । कि देखा तमाम रोए एक साथ लुग्ध मुद्दा में मांस के टुकड़े की तरफ खड़े हो गए। अपना हाथ हटाकर काति बादू ने कहा मांस क टुकड़ा मिल जाता तो प्लाइट्रेप की तरह उसको भी जोरों से दबोच लेता । उसके बाद जो कुछ पुष्टिकाक पदार्थ मिलता उसे चूसकर बेमतलब के हिस्से को छोड़ देता । इसके खाने के तौर-तरीके और हमारे खाने के तौर-तरीके में कोई भन्तर नहीं है 1 हम लोग छाजन से निकलकर बगीचे में माए । शिरीप वृक्ष की छाया लम्बी होकर बगीचे में लेटी थी। घड़ी की तरफ देखा चार वज रहे थे । कान्तिबाबू ने कहा इसमे से यादातर पोधों के सम्बन्ध में तुम्हें चनस्पतिशास्त्र की पुस्तकों में उल्लेख मिलेगा । तब हां मेरा जी सबसे माश्चयेजनक संग्रह है उ उसके विपय में अगर में न लिखूं तो किसी भी पुस्तक में इसका उल्लेख नही मिल सकता है। उसी के लिए भाज तुम लोगों को यहां बुलाया है । चलो परिमल चलिए अभिजित बादू अब हम लोग काति बादू के पीछे-पीछे कारखाने के उस वड़े कमरे की ओर जाने लगे 1 टीन के दरवाजे पर ताला लटका हुआ था । दोनों ओर की दोनों खिड़किया वन्द थी हाथ से ठेलकर कांति बाबू ने एंक खिड़की खोली भौर स्वय काककर हम लोगो से कहा लो देखो । अभिजित और मैं खिड़की से सटकर खड़े हो गए। कमरे के पश्चिम की दीवार के ऊपरी हिस्से मे कांच की दो खिड़किया यानी स्काइलाइट हैं जिनसे धूप नीचे उतर आयी है और अन्दर हुलका प्रकाश फैला है । कमरे के अन्दर जो चीज़ है अगर एकाएक देखा जाए तो उसे वृक्ष




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